THDCIL और IIT रुड़की ने सहयोगात्मक ट्रांसलेशनल अनुसंधान और विकास के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

THDCIL और IIT रुड़की ने सहयोगात्मक ट्रांसलेशनल अनुसंधान और विकास के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
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ऋषिकेश 26 अक्टूबर। श्री आर. के. विश्नोई, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने बताया कि टीएचडीसीआईएल और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र से अनुसंधान और विकास को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर के रूप में सहयोगात्मक पहल स्वरूप 25 अक्टूस 2023 को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

श्री विश्नोई ने आगे बताया कि यह समझौता ज्ञापन अनुसंधान गतिविधियों को व्यापक रूप से संचालित करने में दोनों संस्थानों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जिसमे ऊर्जा संरक्षणायन स्टोरेज बैटरी के विकल्प, इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी के लिए मैनी तकनीक, हरित हाइड्रोजन, भूतापीय प्रौद्योगिकी जलवायु परिवर्तन, अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्यण, जल प्रबंधन और संरक्षण, अवर प्रेरित कंपन सुरंग बनाने की तकनीक, जैव ईंधन, विड स्थिरता में सुधार, और विभिन्न प्रकार के अन्य संबंधित क्षेत्र, जो संयुक्त राष्ट्र के मतल विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) के दायरे में आते हैं शामिल किये गये हैं।

श्री विश्नोई ने यह भी कहा कि यह सहयोग विकसित भारत विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप, औदयोगिक और शैक्षणिक क्षेत्र के बीच की दूरी को कम करने के व्यापक लक्ष्य के साथ, मौलिक और ट्रांसलेशन अनुसंधान दोनों के लिए है। श्री विग्नोई ने यह भी कहा कि यह सहभागिता बुनियादी और ट्रांसलेशन अनुसंधान समाधान और विकसित भारत के दृष्टिकोण में सहयोग करने के लिए औद्योगिक और शिक्षा जगत के बीच की दूरी को कम करेगी।

इस समझौता ज्ञापन में निर्धारित किए गए सहयोग के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के बारे में बताते हुए श्री आर. के. विश्नोई ने कहा कि टी इंडिया लिमिटेड और आईआईटी रुड़की के बीच यह सहभागिता औदयोगिक अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी उन्नति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण पहल का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें विभिन्न औद्योगिक और कार्यक्षेत्र के लिए अभूतपूर्व समाधान प्रदान करने की क्षमता है।”

आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर के के पंत ने कहा कि यह समझौता ज्ञापन विभिन्न उद्योगी और कार्यक्षेत्र में अभूतपूर्व समाधानों को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस सहयोग के माध्यम से हमारा लक्ष्य शिक्षा और उद्योग के बीच की दूरी को कम करके, बुनियादी और ट्रांसलेशन अनुसंधान दोनों को सुविधाजनक बनाना और विकसित भारत एक विकसित भारत के हमारे साझा दृष्टिकोण में योगदान देना है।

आईआईटी रुड़की के डीन प्रायोजित अनुसंधान और औद्योगिक सलाहकार प्रोफेसर अक्षय द्विवेदी ने कहा कि “सहयोगात्मक अनुसंधान और विकास के लिए टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड का सहयोगी बनना आईआईटी रुड़की के ज्ञान और नवाचार को आगे बढ़ाने की स्थायी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इस सहयोग के माध्यम से हम अध्ययन के महत्वपूर्ण क्षेत्र में प्रगति लाने के लिए अपनी तकनीकी विशेषता और अनुसंधान सुविधाओं का लाभ उठायेंगे। हम अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में मौजूदा अग्रणी समाधानीको सुविधाजनक बनाने एवं एक-दूसरे की ताकत को पहचानने और विकसित करने के लिए उत्साहित है।”

समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर डीसीआईएल के आर एंड डी. विभाग के विभागाध्यक्ष श्री एस. के चौहान एवं आईआईटी रुड़की के डीन प्रायोजित अनुसंधान और औद्योगिक सलाहकार प्रोफेसर अक्षय दद्विवेदी द्वारा हस्ताक्षर किए गए। टीएचडीसीआईएल 1587 मेगावाट की संस्थापित क्षमता के साथ देश के प्रमुख बिजली उत्पादकों में से एक है, जिसका श्रेय इसकी प्रचालनाधीन परियोजनाओं को जाता है जिनमें उत्तराखंड में टिहरी बांध और एचपीपी (1000 मेगावाट), कोटेश्वर एचपी (400 मैगावाट), गुजरात के पाटन और द्वारका में क्रमश: 50 मेगावाट और 63 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजनाएं और उत्तर प्रदेश के झाँसी में 24 मेगावाट की दुकवा लघु जलविद्युत परियोजना तथा केरल के कासरगोड में 50 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना शामिल हैं।


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Govind Pundir

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