राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर ‘विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक’ विषय पर गणित विभाग द्वारा सेमिनार का आयोजन

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर ‘विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक’ विषय पर गणित विभाग द्वारा सेमिनार का आयोजन
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ऋषिकेश 28 फरवरी। गणित विभाग ने आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर ‘विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक’ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया। इस सेमिनार में बेबस-बोल्याई विश्वविद्यालय, क्लुज-नेपोका, रोमानिया की प्रो. लिलियाना गुरान ने इंटरनेट ऑफ थिंग्स और इंटरनेट ऑफ बिजनेस और व्यावसायीकरण में इसके अनुप्रयोगों पर बात की। उन्होंने छात्रों, अनुसंधान विद्वानों और संकाय सदस्यों के साथ भी बातचीत की और उन्हें देश के विकास के लिए अच्छे शोध कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया।

गणित विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनिता तोमर ने कहा कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम ‘विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक’ वैश्विक चिंताओं को दूर करने में मदद करेगी और विज्ञान के माध्यम से भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने की आवश्यकता पर जोर देगी। इस थीम को स्वदेशी (घरेलू) नवाचारों की प्रासंगिकता पर जोर देने और भारतीय वैज्ञानिकों के काम को प्रदर्शित करने के लिए चुना गया है। यह विषय एक नए युग की घोषणा करता है और घरेलू और दुनिया भर में सार्वजनिक और वैज्ञानिक समुदाय को एकजुट होने, सहयोग करने, काम करने और भारत और मानवता की भलाई में योगदान करने का अवसर प्रदान करता है। आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना के लिए भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित विमान वाहक है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने कई वैमानिक प्रणालियाँ, मिसाइलें और इलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकियाँ विकसित की हैं।

भारत बायोटेक का कोवैक्सिन भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित कोविड-19 वैक्सीन है। बायोलॉजिकल ई द्वारा निर्मित कॉर्बेवैक्स, कोविड 19 के खिलाफ भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है। जायडस कैडिला की ZyCOV-D दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन है। CERVAVAC सर्वाइकल कैंसर के लिए भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस टीकाकरण है।

प्रोफेसर अनिता तोमर ने कहा कि ‘रमन प्रभाव’ की खोज के लिए भारत में प्रतिवर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 28 फरवरी, 1928 को, भारतीय भौतिक विज्ञानी सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन ने दुनिया के सामने स्पेक्ट्रोस्कोपी के क्षेत्र में ‘रमन प्रभाव’ की अपनी खोज की घोषणा की। इस खोज के लिए उन्हें 1930 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का प्राथमिक लक्ष्य लोगों के बीच विज्ञान के महत्व और इसके अनुप्रयोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। विभिन्न उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को भारत के प्रमुख विज्ञान उत्सवों में से एक के रूप में मनाया जाता है। “आज देश का लक्ष्य है विकसित भारत, सशक्त भारत! हम तब तक नहीं रुक सकते जब तक विकसित भारत का यह सपना पूरा नहीं हो जाता” ये हमारे माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के शब्द हैं। इन गतिविधियों के मुख्य बिंदु 2047 में भारत को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे और नवाचार में एक वैश्विक नेता के रूप में, आर्थिक समृद्धि, डिजिटल कनेक्टिविटी और कृषि उन्नति को बढ़ावा देने की कल्पना करते हैं। उम्मीद है कि भारत व्यापार और वाणिज्य का केंद्र बनेगा, गरीबी और बेरोजगारी को कम करेगा जबकि बाल श्रम और भुखमरी को खत्म करेगा। उच्च जीवन स्तर और उद्यमिता के साथ, भारत सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करेगा और राष्ट्रीय सुरक्षा और जीडीपी वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभरेगा। इस दृष्टिकोण के लिए सरकार, सुधारकों, नीति निर्माताओं और नागरिकों के सहयोगात्मक रूप से उज्जवल भविष्य को आकार देने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।

गणित विभाग के शोध छात्र, शिवानी, सजल, मोनिका, नितिन, कौशल ने कृषि, विज्ञान, स्वास्थ्य, डिजिटल प्लेटफॉर्म, शिक्षा आदि के क्षेत्र में मौजूद विभिन्न स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के बारे में चर्चा की।

माननीय कुलपति प्रो. एन.के. जोशी ने शिक्षा में अकादमिक उत्कृष्टता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए गणित विभाग की सराहना की। माननीय प्रो. जोशी ने सदस्यों के बीच निरंतर सीखने और विकास की महत्वता को उजागर करते हुए कहा कि इस सेमिनार की सफलता संस्थान में विकास और प्रगति की संस्कृति को बढ़ावा देती है।

पण्डित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश के निदेशक प्रो एम एस रावत और विज्ञान संकाय के संकायध्यक्ष डॉ. जी.एस. ढींगरा ने कार्यक्रम आयोजित करने पर गणित विभाग की टीम को बधाई दी। कार्यक्रम में प्रोफेसर दीपा शर्मा, डॉ गौरव वार्ष्णेय, डॉ शिवांगी उपाध्याय, और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।


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Govind Pundir

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