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भारत में तीन नए आपराधिक कानूनों का आगमन एक सूक्ष्म संकलन

भारत में तीन नए आपराधिक कानूनों का आगमन एक सूक्ष्म संकलन
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-शान्ति प्रसाद भट्ट (एडवोकेट), विधि निष्णात (LLM), पूर्व अध्यक्ष जिला बार एसोसिएशन टिहरी

टिहरी गढ़वाल 27 जून । तीन दिन बाद यानि 01 जुलाई 2024 से देश मे तीन नए अपराधिक कानून अमल मे आ जायेंगे। पुलिस, जांच और न्यायिक व्यवस्था मे इन तीनों कानूनों के अनुरूप परिवर्तन होने जा रहा है, चुकीं 25 दिसंबर 2023 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया है कि केन्द्रीय सरकार द्वारा 01जुलाई 2024 को इन तीनों कानूनों के प्राविधान लागू होने की तिथि निर्धारित की है।भारत में 01 जुलाई 2024 से तीन नए आपराधिक कानून लागू होंगे जो मौजूदा भारतीय दंड संहिता (IPC), भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे।

ये तीन कानून हैं: भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS)

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (BNSS)

भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (BSA)

इन कानूनों के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

ऑनलाइन घटनाओं की रिपोर्टिंग: अब कोई भी व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से घटनाओं की रिपोर्ट कर सकता है। (BNS की धारा 173)

किसी भी पुलिस स्टेशन पर एफआईआर दर्ज करना: जीरो एफआईआर की शुरुआत से कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन पर प्राथमिकी दर्ज करा सकता है। (BNS की धारा 173)

एफआईआर की निःशुल्क प्रति: पीड़ितों को एफआईआर की निःशुल्क प्रति प्राप्त होगी। (BNS की धारा 173)

गिरफ़्तारी होने पर सूचना देने का अधिकार: गिरफ़्तारी की स्थिति में व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार है। (BNS की धारा 36)

गिरफ्तारी की जानकारी प्रदर्शित करना: गिरफ्तारी का विवरण पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रदर्शित किया जाएगा। (BNS की धारा 37)

फॉरेंसिक साक्ष्य संग्रह और वीडियोग्राफी: गंभीर अपराधों के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों का दौरा और साक्ष्य संग्रह अनिवार्य है। (BNS की धारा 176)

त्वरित जांच: महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है। (BNS की धारा 193)

पीड़ितों को मामले की प्रगति का अपडेट देना: पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामले की प्रगति के बारे में अपडेट प्राप्त करने का अधिकार है। (BNS की धारा 193)

पीड़ितों के लिए निःशुल्क चिकित्सा उपचार: सभी अस्पतालों में पीड़ितों को निःशुल्क चिकित्सा उपचार की गारंटी दी गई है। (BNS की धारा 397)

इलेक्ट्रॉनिक समन: समन की तामील अब इलेक्ट्रॉनिक रूप से की जा सकती है। (BNS की धारा 64, 70, 71)

महिला मजिस्ट्रेट द्वारा बयान: महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में पीड़िता के बयान महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किए जाने चाहिए। (BNS की धारा 183)

पुलिस रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराना: आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट/चार्जशीट की प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार है। (BNS की धारा 230)

सीमित स्थगन: न्यायालय अधिकतम दो स्थगन प्रदान कर सकते हैं। (BNS की धारा 346)

गवाह सुरक्षा योजना: राज्य सरकारों के लिए गवाह सुरक्षा योजना अनिवार्य की गई है। (BNS की धारा 398)

जेंडर समावेश: “जेंडर” की परिभाषा में ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी शामिल हैं। (BNS की धारा 2(10))

सभी कार्यवाहियां इलेक्ट्रॉनिक मोड में होना: सभी कानूनी कार्यवाहियां इलेक्ट्रॉनिक रूप से संचालित की जाएंगी। (BNS की धारा 530)

बयानों की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग: पुलिस पीड़िता का बयान ऑडियो-वीडियो माध्यम से रिकॉर्ड करेगी। (BNS की धारा 176)

पुलिस स्टेशन जाने से छूट: कुछ विशिष्ट व्यक्तियों को पुलिस स्टेशन जाने से छूट दी गई है। (BNS की धारा 179)

महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध: महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों पर विशेष ध्यान दिया गया है। (BNS का अध्याय V)

जेंडर-न्यूट्रल अपराध: महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध विभिन्न अपराधों को जेंडर-न्यूट्रल बना दिया गया है।सामुदायिक सेवा: छोटे-मोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा की शुरुआत की गई है। (BNS की धारा 4, 202, 209, 226, 303, 355, 356)

अपराधों के लिए जुर्माना अपराध की गंभीरता के अनुरूप: कुछ अपराधों के लिए लगाए गए जुर्माने को अपराध की गंभीरता के अनुरूप बनाया गया है।


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Govind Pundir

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