औषधीय और सगंध पौधों की खेती से मजबूत हो रही किसानों की आर्थिकी

मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना से जुड़ रहे हैं ग्रामीण
टिहरी गढ़वाल। पलायन को रोकने और ग्रामीणों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने की दिशा में मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना कारगर सिद्ध हो रही है। टिहरी जिले के थौलधार प्रखंड के झकोगी, सेमाली पातल, डांग गुसाईं, कंस्यूड़ सहित आधा दर्जन गांवों के काश्तकार अब औषधीय और सगंध पौधों की खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

धार क्षेत्रीय विकास संस्थान द्वारा कृषि विभाग, टिहरी के सहयोग से इस योजना के अंतर्गत किसानों को लैवेंडर, रोजमेरी, डेंडी लिमोन, थाइम और ओरेगानो जैसे पौधों की खेती से जोड़ा गया है। हाल ही में झकोगी गांव में किसानों को फसल कटाई का प्रशिक्षण भी दिया गया, जिसमें विशेषज्ञों ने खेतों में जाकर पत्तियों और फूलों को अलग करने, सुखाने और बाजार में विक्रय के लिए तैयार करने की विधियां सिखाईं।
संस्थान के विशेषज्ञ आशीष राणा और कमलेश नेगी ने बताया कि औषधीय और सगंध पौधों की खेती न केवल किसानों की आय का नया स्रोत बन रही है, बल्कि यह जंगली जानवरों से भी सुरक्षित रहती है। इन पौधों को कम पानी और सीमित भूमि में भी उगाया जा सकता है। लेवेंडर के फूलों की बाजार में कीमत 800 से 1000 रुपये प्रति किलो तक मिल रही है, और इसका तेल औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधनों में उच्च मांग में है।
दो वर्ष पूर्व तक बंजर पड़े खेतों को आबाद कर अब वहां खेती हो रही है। किसानों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ संस्थान द्वारा बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। योजना से पूरे उत्तराखंड में अब तक लगभग 15,000 काश्तकार जुड़ चुके हैं।
काश्तकार बुद्धा देवी और पूनम देवी ने बताया कि उन्होंने यह खेती अपनाई है और इससे उन्हें आय भी होने लगी है।
कार्यक्रम में संस्थान के मुख्य कार्यकारी अजय पंवार, गौरव बिष्ट, प्रवीण उनियाल, मधु देवी, रविंद्र सिंह सहित महिला स्वयं सहायता समूह की कई सदस्याएं उपस्थित रहीं।