गंगी गांव की उजली राह: अंधेरे से रोशनी की ओर एक प्रेरक यात्रा

“क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों एवं शासन-प्रशासन का प्रयास लाया रंग”
- गोविन्द पुंडीर
उत्तराखंड के टिहरी जिले में घनसाली विधानसभा क्षेत्र का सीमांत गांव गंगी, जो कभी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसता था, आज विकास की नई इबारत लिख रहा है। इस गांव की कहानी किसी प्रेरक गाथा से कम नहीं, जहां क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों, शासन-प्रशासन और ग्रामीणों की एकजुटता ने असंभव को संभव कर दिखाया।
सपनों का सफर: सड़क से शुरू, बिजली तक पहुंचा साल 2018 में जब गंगी की कच्ची पगडंडियों पर पहली बार सड़क की गूंज सुनाई दी, तो ग्रामीणों की आंखों में उम्मीद की चमक जगी। लेकिन यह तो बस शुरुआत थी। गांव के 250 परिवारों का सपना था कि उनके घरों में बिजली की रोशनी जले, उनके बच्चे रात में पढ़ सकें, और उनकी जिंदगी में आधुनिकता की किरण आए।

यह सपना सच हुआ जब दिसंबर 2024 में गंगी को विद्युत ग्रिड से जोड़ा गया। पांच महीने, 12 किलोमीटर, और एक नया इतिहास पहाड़ों की दुर्गम चट्टानों और विपरीत मौसम के बीच विद्युत विभाग ने महज पांच महीनों में 12 किलोमीटर लंबी बिजली लाइन बिछाकर गंगी को रोशनी से सराबोर कर दिया।
अधिशासी अभियंता अमित आनंद बताते हैं, “यह काम आसान नहीं था। जंगल, खड़ी चढ़ाई, और सर्द मौसम ने कई बार रास्ता रोका, लेकिन ग्रामीणों का उत्साह और प्रशासन का मार्गदर्शन हमारी ताकत बना।” विभाग ने गांव में शिविर लगाकर दर्जनों परिवारों को तुरंत बिजली कनेक्शन दिए, और बाकियों के लिए प्रक्रिया तेजी से चल रही है।
कैसे जगी यह चिंगारी? इस उपलब्धि की नींव तब पड़ी जब क्षेत्रीय विधायक शक्तिलाल शाह ने जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक में गंगी के विद्युतीकरण की मांग को पुरजोर तरीके से उठाया। सांसद महोदय के निर्देश और जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की त्वरित कार्रवाई ने इसे गति दी। नवंबर 2024 में राज्य सरकार ने 1.02 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति दी, और फिर शुरू हुआ गंगी को उजाले से जोड़ने का मिशन।
जब बल्ब जला, चेहरे खिले जिस दिन गंगी में पहला बल्ब जला, उस रात गांव में उत्सव जैसा माहौल था। बुजुर्गों की आंखों में खुशी के आंसू थे, बच्चे बिजली की रोशनी में किताबें खोलकर बैठ गए, और महिलाओं ने कहा, “अब रातें और आसान होंगी।” एक ग्रामीण रामू ने हंसते हुए बताया, “पहले लालटेन की रोशनी में काम चलता था, अब बिजली का बल्ब देखकर लगता है, हम भी शहर वालों जैसे हो गए!
“सौर से ग्रिड तक: गंगी की उड़ान पहले सौर ऊर्जा पर निर्भर गंगी अब विद्युत ग्रिड की बदौलत पूरी तरह आत्मनिर्भर बन चुका है। यह बदलाव न केवल गांव की जीवनशैली को उन्नत कर रहा है, बल्कि ग्रामीणों को शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के नए अवसर भी दे रहा है। एक मिसाल, एक प्रेरणा गंगी की यह कहानी सिर्फ बिजली आने की कहानी नहीं, बल्कि इच्छाशक्ति, सामूहिक प्रयास, और विकास के प्रति प्रतिबद्धता की जीत है। यह हर उस गांव के लिए प्रेरणा है, जो आज भी अंधेरे में जी रहा है। गंगी ने साबित कर दिया कि जब सरकार, जनप्रतिनिधि, और जनता एक साथ कदम बढ़ाते हैं, तो कोई भी सपना असंभव नहीं।
आगे की राह अब गंगी के लोग बिजली से चलने वाले छोटे-मोटे उद्योग शुरू करने की योजना बना रहे हैं। बच्चे डिजिटल शिक्षा की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, और गांव में पर्यटन की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं। गंगी अब सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि विकास की एक मिसाल बन चुका है।
यह कहानी गंगी की है, लेकिन यह हर उस भारतीय की कहानी है जो अपने सपनों को रोशनी देने के लिए संघर्ष करता है। गंगी की रोशनी हमें यही संदेश देती है—अंधेरा कितना भी गहरा हो, एक छोटी सी चिंगारी उसे उजाले में बदल सकती है।