जलवायु परिवर्तन और पलायन रोकने में महिलाओं की सशक्त और परिवर्तनकारी भूमिका: सुनीता देवी

“डालियों का दगडिया संस्था ने बौराड़ी में की विचार गोष्ठी”
टिहरी गढ़वाल। जलवायु परिवर्तन, जल स्रोत संरक्षण और पलायन जैसे गंभीर मुद्दों पर ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से डालियों का दगडिया (डीकेडी) संस्था द्वारा शनिवार को बौराड़ी में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में जाखणीधार और प्रतापनगर ब्लॉक के ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और अपने सुझाव साझा किए।
गोष्ठी का शुभारंभ ब्लॉक प्रशासक सुनीता देवी ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने और पलायन रोकने में महिलाओं की भूमिका सबसे अहम है। उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक संस्थाएं सरकारी योजनाओं के सहयोग से गांवों में स्थायी विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं।
संस्था के अध्यक्ष प्रो. मोहन सिंह पंवार ने बताया कि डीकेडी संस्था पिछले कई वर्षों से जाखणीधार और प्रतापनगर ब्लॉक के 15 गांवों—जैसे मंदार, भटवाड़ा, म्यूंडी, घोल्डाणी, सांदणा, कठूली, कोटचौरी, तुनियार, कंगसाली आदि—में जलवायु संरक्षण, कृषि, उद्यानीकरण, स्वरोजगार और पलायन रोकथाम जैसे विषयों पर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक असर कृषि और पर्यावरण पर देखा जा रहा है, जिसे परंपरागत बीजों और स्थानीय संसाधनों के संरक्षण से कम किया जा सकता है।
श्री गल्लेश्वर महादेव मंदिर समिति के अध्यक्ष मान सिंह रौतेला ने संस्था के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि डीकेडी के प्रयासों से क्षेत्र की कई समस्याओं का समाधान हुआ है, और भविष्य में भी उन्हें हर संभव सहयोग दिया जाएगा।
ग्राम मंदार की प्रशासक संगीता रावत, पूर्व बीडीसी सदस्य विजयपाल रावत और पूर्व ग्राम प्रधान ध्यान सिंह रावत ने साझा किया कि ग्रामीणों के सहयोग से एक बड़े भू-भाग पर बांज, बुरांश समेत स्थानीय प्रजातियों का घना जंगल तैयार किया गया है, जिसका संरक्षण ग्रामीण अपने संसाधनों से कर रहे हैं।
संस्था से जुड़ी अनीता उनियाल और ममता रावत ने मौसम आधारित खेती के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि बदलते मौसम के अनुसार खेती की रणनीति बनाना समय की मांग है।
कार्यक्रम में सरपंच दिनेश लाल, आशराम ममगाईं, पुष्पा पंवार, रजनी देवी, उर्मिला देवी, किरण, तयैबा, वैशाली, सांवली, प्रमिला, प्राची, विनीता, कृष्णा, सौरभ सहित कई ग्रामीण उपस्थित रहे।
यह गोष्ठी इस बात का प्रमाण है कि यदि समुदाय जागरूक हो और संगठनात्मक प्रयास किए जाएं, तो जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्या से भी स्थानीय स्तर पर प्रभावी रूप से निपटा जा सकता है।