‘निखाण्या जोग’ पहाड़ की सच्चाई और नारी चेतना पर आधारित सशक्त गढ़वाली फिल्म

8 जून से देखें त्रिहरि सिनेमा में
टिहरी गढ़वाल। गढ़वाली सिनेमा को एक नई ऊंचाई देने वाली सामाजिक फीचर फिल्म ‘निखाण्या जोग’ आगामी 8 जून से बौराडी के त्रिहरि सिनेमा में रिलीज होने जा रही है। पहला शो 12 बजे दिन से 2.30 बजे तक चलेगा । गायत्री आर्ट्स के बैनर तले निर्मित इस फिल्म में न केवल उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को मजबूती से उभारा गया है, बल्कि समाज में व्याप्त ज्वलंत मुद्दों को भी संवेदनशीलता के साथ पेश किया गया है।
पहाड़ की नारी के संघर्ष और आदर्शों की कहानी
‘निखाण्या जोग’ के निर्माता डॉ एम आर सकलानी ने आज न्यू टिहरी प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता में कहा कि इस फिल्म की कहानी एक साधारण पहाड़ी महिला के असाधारण साहस, त्याग और आदर्शों पर केंद्रित है। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह एक महिला तमाम सामाजिक चुनौतियों, पति के द्वारा छोड़े जाने और जीवन में आए असहनीय दुखों के बावजूद अपने पत्नी धर्म, आत्मसम्मान और परिवार के प्रति समर्पण को नहीं छोड़ती। वहीं, फिल्म का नायक आधुनिकता की दौड़ में अपने मूल्यों से भटक जाता है और अंततः गंभीर बीमारी का शिकार होकर पछतावे में जीवन बिताता है।
प्रेस वार्ता में जोना फिल्म के डॉ राजकिशोर व अर्जुनचंद्रा मौजूद रहे।
यथार्थ से जुड़ी पटकथा और दमदार कलाकार
फिल्म के निर्माता आशा मुनेन्द्र सकलानी, निर्देशक देबु रावत और कहानीकार डॉ.एम० आर० सकलानी ने मिलकर एक ऐसी पटकथा रची है, जो दर्शकों को गहराई से छू जाती है। मोहित घिल्डियाल, मानसी शर्मा, प्राची पंवार, रवि ममगाई जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों ने अपने जीवंत अभिनय से किरदारों को यादगार बना दिया है। फिल्म की शूटिंग टिहरी, चंबा, देहरादून, दिल्ली और मुंबई जैसे विविध लोकेशनों पर की गई है, जिससे इसमें पहाड़ की खूबसूरती और यथार्थ दोनों का अद्भुत मेल देखने को मिलेगा।
संगीत और संस्कृति की झलक
फिल्म में अमित कपूर के संगीत निर्देशन में सत्येंद्र परियन्दा के गीत और पद्मश्री प्रीतम भरतवाण की आवाज ने गढ़वाली संस्कृति की मिठास को और भी प्रखर बनाने का प्रयास किया है। पारंपरिक लोक धुनों और भावनात्मक गीतों के माध्यम से फिल्म दर्शकों को अपनी जड़ों से जोड़ती है।
सामाजिक संदेश के साथ मनोरंजन
‘निखाण्या जोग’ न सिर्फ मनोरंजन करती है, बल्कि समाज को यह संदेश भी देती है कि सच्चा सुख और सफलता सिर्फ भौतिक उपलब्धियों में नहीं, बल्कि रिश्तों की गहराई, संवेदनाओं और अपने मूल्यों में निहित है। यह फिल्म पहाड़ के युवाओं के पलायन, बदलते सामाजिक ताने-बाने और नारी के संघर्ष को बेहद प्रभावशाली तरीके से उजागर करती है।
दर्शकों के लिए खास
गढ़वाली भाषा और संस्कृति को समर्पित यह फिल्म न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि देश-विदेश में बसे पहाड़ी समाज के लिए गर्व का विषय है। ‘निखाण्या जोग’ गढ़वाली सिनेमा को नई पहचान देने के साथ-साथ समाज में सकारात्मक सोच और संवेदनशीलता का संचार भी कर रही है।
अगर आप पहाड़ की माटी, वहां के रिश्तों और संस्कृति की सच्ची झलक देखना चाहते हैं, तो आगामी 8 जून 2025 को त्रिहरि सिनेमा बौराडी में ‘निखाण्या जोग’ फ़िल्म जरूर देखें। यह फिल्म गढ़वाली सिनेमा के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है।