त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण बदलाव पर अनुसूचित जाति का कड़ा विरोध: अवरोही चक्रानुक्रम की मांग

टिहरी गढ़वाल । त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण प्रथम चक्र से लागू करने के राज्य सरकार के फैसले पर अनुसूचित जाति समुदाय ने कड़ा रोष व्यक्त किया है। समुदाय का कहना है कि भारत के संविधान में अनुसूचित जाति और जनजाति को जनसंख्या के आधार पर समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का प्रावधान है। इसके लिए त्रिस्तरीय पंचायतों में आरक्षण का निर्धारण जनसंख्या के अनुसार अवरोही क्रम (घटते क्रम) में चक्रानुक्रम के तहत किया जाता रहा है।
हालांकि, राज्य सरकार ने इस आरक्षण नियमावली को नजरअंदाज कर प्रथम चक्र लागू कर दिया, जिससे समुदाय में आक्रोश है।अनुसूचित जाति समुदाय की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि पूर्व में चक्रानुक्रम के तहत सभी वर्गों को त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रतिनिधित्व का समान अवसर मिलता रहा है।
इस बार ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुख के लिए क्रमशः पांचवां और छठवां चक्र अवरोही क्रम में लागू होना था। इसके आधार पर कई उम्मीदवारों ने अपनी तैयारियां भी पूरी कर ली थीं। लेकिन सरकार ने चुनाव से ठीक पहले आरक्षण चक्र को प्रथम चक्र में बदल दिया, जिसके चलते कुछ ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों को दो-तीन बार आरक्षण का लाभ मिलेगा, जबकि अनुसूचित जाति की कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रतापनगर मंडल अध्यक्ष वीरेंद्र बरवाण, विजय शाह, राजेंद्र बोरा, प्रदीप, संजय कुमार, मस्तराम, बलवेंद्र बरवाण सहित अन्य ने सरकार से मांग की है कि प्रथम चक्र को तत्काल निरस्त कर पूर्ववत अवरोही चक्रानुक्रम के अनुसार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण निर्धारित किया जाए।