डॉ. रवि शंकर नायर: एक चिकित्सक, एक आशा की किरण

डॉ. रवि शंकर नायर: एक चिकित्सक, एक आशा की किरण
Please click to share News

कारवार, कर्नाटक का एक छोटा सा तटीय शहर, जहाँ समुद्र की लहरें और हरे-भरे नज़ारे हर किसी का मन मोह लेते हैं। इस शहर की सादगी और शांति के बीच बस्ती है एक ऐसी शख्सियत, जिसने अपनी चिकित्सा कला से न केवल स्थानीय लोगों, बल्कि विश्व भर के मरीजों के दिलों में जगह बनाई है। यह कहानी है डॉ. रवि शंकर नायर की, एक होम्योपैथिक चिकित्सक की, जो सिर्फ़ दवाएँ नहीं, बल्कि आशा और विश्वास बाँटते हैं।
एक साधारण शुरुआत, असाधारण मिशन
डॉ. रवि शंकर नायर का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। 22 साल की उम्र में, जब ज़्यादातर युवा अपने करियर की शुरुआत कर रहे होते हैं, डॉ. नायर ने होम्योपैथी को अपनी मंज़िल चुना। पिछले 34 वर्षों से, यानी 56 साल की उम्र तक, वे अपने छोटे से क्लिनिक में मरीजों की सेवा कर रहे हैं। कारवार के इस शांत शहर में उनका क्लिनिक एक मंदिर की तरह है, जहाँ लोग सिर्फ़ इलाज के लिए नहीं, बल्कि मानसिक सुकून और मार्गदर्शन के लिए आते हैं।
डॉ. नायर का व्यक्तित्व उनकी चिकित्सा जितना ही अनोखा है। वे लो-प्रोफाइल रहते हैं, विज्ञापनों से दूर। उनकी शोहरत उनके काम और मरीजों के अनुभवों से फैली है। वे कहते हैं, “मेरा विज्ञापन मेरे मरीजों की मुस्कान है।” उनकी यह सादगी और निष्ठा उन्हें औरों से अलग बनाती है।
होम्योपैथी की ताकत, जड़ से इलाज
होम्योपैथी का सिद्धांत “Like cures like” और व्यक्तिगत उपचार पर आधारित है। डॉ. नायर इस सिद्धांत को गहराई से समझते हैं। वे हर मरीज की कहानी को धैर्य से सुनते हैं—उनके शारीरिक लक्षण, मानसिक स्थिति, जीवनशैली, और यहाँ तक कि उनकी भावनाएँ। उनका मानना है कि बीमारी का इलाज सिर्फ़ लक्षणों को दबाने से नहीं, बल्कि उसकी जड़ को समझने से होता है।
उनके क्लिनिक में आने वाले मरीज बताते हैं कि डॉ. नायर हर केस को गंभीरता से लेते हैं। चाहे वह साधारण बुखार हो या जटिल बीमारी जैसे पित्त की थैली में पथरी, किडनी स्टोन, warts, या आँखों में मोतियाबिंद जैसी समस्याएँ। जहाँ एलोपैथी में अक्सर ऑपरेशन ही एकमात्र रास्ता बताया जाता है, वहाँ डॉ. नायर ने अपनी होम्योपैथिक दवाइयों से असंभव को संभव बनाया है। उनकी दवाएँ, जो वे स्वयं रिसर्च और अनुभव के आधार पर तैयार करते हैं, न केवल प्राकृतिक होती हैं, बल्कि दुष्प्रभाव से भी मुक्त होती हैं।
एक व्यक्तिगत अनुभव
लेखक राहुल पैन्यूली की मुलाकात डॉ. नायर से साल 2010 में हुई थी। राहुल को उस समय warts की समस्या थी, जिसके लिए उन्हें कई जगह से निराशा ही मिली थी। लेकिन डॉ. नायर की दवाओं ने कुछ ही समय में उनकी समस्या को जड़ से खत्म कर दिया। राहुल बताते हैं, “डॉ. नायर ने न केवल मेरी बीमारी का इलाज किया, बल्कि मुझे मानसिक रूप से भी मज़बूत किया। उनकी बातों में एक अजीब सा सुकून था, जो आपको यह विश्वास दिलाता है कि सब ठीक हो जाएगा।”
विश्व भर में फैली शोहरत
डॉ. नायर का क्लिनिक भले ही कारवार जैसे छोटे शहर में हो, लेकिन उनकी ख्याति भारत के कोने-कोने और विदेशों तक फैली है। लोग फोन के ज़रिए उनसे संपर्क करते हैं, और वे अपनी दवाएँ कूरियर के माध्यम से भेजते हैं। उनके मरीजों में हर उम्र और हर देश के लोग शामिल हैं। चाहे वह क्रॉनिक बीमारियाँ हों या ऐसी समस्याएँ जिनका एलोपैथी में कोई इलाज नहीं, डॉ. नायर ने अपनी चिकित्सा से असंख्य लोगों को नया जीवन दिया है।
होम्योपैथी: एक समग्र दृष्टिकोण
होम्योपैथी की खासियत है इसका समग्र दृष्टिकोण। यह सिर्फ़ बीमारी को नहीं, बल्कि पूरे व्यक्ति को ठीक करने पर ध्यान देती है। डॉ. नायर इस दृष्टिकोण को जीते हैं। वे मरीजों को न केवल दवाएँ देते हैं, बल्कि उनकी जीवनशैली और आहार में बदलाव के लिए भी प्रेरित करते हैं। वे कहते हैं, “दवा तभी असर करती है, जब मन और शरीर दोनों संतुलन में हों।”
होम्योपैथी की दवाएँ प्राकृतिक स्रोतों से बनती हैं और अत्यधिक पतली मात्रा में दी जाती हैं, जिससे दुष्प्रभाव का खतरा न के बराबर होता है। लेकिन डॉ. नायर हमेशा मरीजों को परहेज़ का पालन करने की सलाह देते हैं, जैसे कॉफी, पुदीना, या तेज़ गंध वाले पदार्थों से बचना।
एक सलाह, एक चेतावनी
हालाँकि होम्योपैथी को सुरक्षित माना जाता है, लेकिन यह कोई चमत्कारिक इलाज नहीं है। यह धीरे-धीरे असर करती है और इसमें धैर्य की ज़रूरत होती है। गंभीर या आपातकालीन स्थितियों में एलोपैथी का सहारा लेना भी ज़रूरी हो सकता है। राहुल पैन्यूली कहते हैं, “होम्योपैथी उन लोगों के लिए बेहतरीन है जो लंबे समय से चल रही समस्याओं से जूझ रहे हैं। लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि हर चिकित्सा पद्धति की अपनी सीमाएँ हैं।”
कारवार का रत्न
कारवार का सुंदर समुद्र तट और रेलवे स्टेशन इस शहर को खास बनाते हैं, लेकिन डॉ. रवि शंकर नायर इस शहर का असली रत्न हैं। उनका क्लिनिक सोमवार से शनिवार निश्चित समय पर खुलता है, और उनकी व्यवस्थित कार्यशैली मरीजों को समय का सम्मान करना सिखाती है। वे हर मरीज को अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं, और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।

अंत में
डॉ. रवि शंकर नायर सिर्फ़ एक चिकित्सक नहीं, बल्कि एक संवेदनशील मार्गदर्शक और आशा की किरण हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची सेवा और निष्ठा से कोई भी छोटा सा शहर विश्व के नक्शे पर अपनी जगह बना सकता है। होम्योपैथी के प्रति उनका समर्पण और मरीजों के प्रति उनकी संवेदनशीलता उन्हें एक सच्चा हीरो बनाती है।
यह लेख मेरे व्यक्तिगत अनुभव और डॉ. नायर के कार्यों से प्रेरित है। मैं कोई चिकित्सा विशेषज्ञ नहीं हूँ, और यह लेख किसी भी तरह से प्रायोजित नहीं है। यह एक सच्चे चिकित्सक के प्रति सम्मान और उनकी कला के प्रति मेरी श्रद्धा का प्रतीक है।

राहुल पैन्यूली



Please click to share News

Govind Pundir

Related News Stories