विशेष आलेख

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विक्रम बिष्ट
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विक्रम बिष्ट

टीएचडीसी इंडिया को बेचने के विरोध में कांग्रेस आंदोलन करने जा रही है। पूर्व सी एम हरीश रावत एवं पूर्व राज्य मंत्री किशोर उपाध्याय ने इस कदम का स्वागत किया है। कांग्रेस भाजपा विधायकों को जगाने के लिए उनके घरों पर जागर लगाएगी। हरीश जी ने ऋषीकेश में धरना देकर यह भी रहस्योद्धाटन किया है कि उनकी सरकार ने टिहरी बांध के पानी के बदले टैक्स के रूप में 700 करोड़ रुपये का प्रस्ताव पारित किया था। पूछा है कि अब यह परियोजना बिकती है तो उत्तराखंड के लाभांश का क्या होगा? बताया नही की तब कितना था? 

टिहरी जल विकास निगम का गठन राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार के समय हुआ था। जब यह प्रक्रिया चल रही थी तब उत्तरप्रदेश में विकास पुरूष नारायण दत्त तिवारी की काँग्रेसी सरकार थी। हरीश रावत सांसद और ब्रह्मदत्त केंद्र में मंत्री थे। निगम में केंद्र और उत्तरप्रदेश सरकार की क्रमशः 75 और 25 फीसदी भागीदारी थी।

बांध की बिजली का बटन दबाने जब केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे टिहरी आये थे तो उनके साथ किशोर उपाध्याय , शूरवीर सिंह सजवाण भी थे। मंत्री जी से जब निगम में उत्तराखंड की हिस्सेदारी का सवाल किया गया था तो उन्होंने जवाब दिया, 12 प्रतिशत रॉयल्टी मिलेगी। मैंने पूछा रॉयल्टी तो मिलनी ही है(विस्तार से शीघ्र)।

यूपी की तरह निगम में हिस्सेदारी का सवाल है। मंत्री जी की तरह किशोर जी और शूरवीर जी चुप रहे। तब क्यों चुप रहे। हमारे स्वाभाविक अधिकार की बात तब करते तो आज टीएचडीसी  इंडिया की किस्मत लिखने से पहले उत्तराखंड की सहमति जरूरी होती। न कांग्रेस को धरना प्रदर्शन करने का कष्ट उठाना पड़ता न भाजपा सरकार को कुछ अता-पता नहीं की अपनी दशा बयान करनी पड़ती।

उत्तराखंड राज्य आंदोलन में कांग्रेस और भाजपा नेताओं की पर्दे के आगे-पीछे की भूमिकाऐं याद हैं। उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के कई नेता और स्वयंभू संरक्षक, समन्वयक उभर आये थे। दिल्ली की कृपा से नित्यानन्द स्वामी और नारायण दत्त तिवारी मुख्य मंत्री बने थे। सीएम की कृपा से हर दिन धनतेरस था। 

टिहरी जल विकास निगम जब टीएचडीसी इंडिया बना तो इस पूरी प्रक्रिया में उत्तराखंड के काबिल मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, विधायकों की क्या और कैसी भूमिका रही? हरीश जी और किशोर जी इन जानकारियों को साथ लेकर टिहरी आएं तो स्वागत है। आंदोलन की पटकथा तैयार हो रही है। इसमें शायद हाशिये पर आपकी भूमिका अंकित हो जाए? 

इधर टीएचडीसी इंडिया के कर्मचारी भी नाराज़ हैं और धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले कई  वर्षों से नई टिहरी में विभिन्न समस्याओं को लेकर आंदोलन चलाते रहे एकता मंच के संयोजक आकाश कृशाली ने इन कर्मचारियों की समस्याओं को जायज़ ठहराया है तथा खुलकर सामने आए हैं।

(लेख में लेखक के अपने विचार हैं, संपादक का सहमत/ असहमत होना जरूरी नहीं है)


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