टीएचडीसी को प्राइवेट हाथों सौंपने के खिलाफ प्रधानमंत्री को दिया ज्ञापन
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इस मौके पर बड़ी संख्या में मौजूद कार्यकर्ताओं ने भारत सरकार के इस निर्णय की आलोचना की। एकता मंच संयोजक आकाश कृशाली एवं नगर पालिका अध्यक्ष सीमा कृशाली ने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 19 जुलाई 1990 को टिहरी बांध परियोजना को सशर्त मंजूरी दी थी। कहा कि टीएचडीसी को जल संग्रहण, समुचित पुनर्वास के साथ जीवन स्तर में पर्याप्त सुधार, जीव जंतुओं एवं वनस्पतियों का संरक्षण, जल की गुणवत्ता ,आपदा प्रबंधन तथा भागीरथी नदी घाटी प्राधिकरण गठित कर जल संग्रहण क्षेत्र के सर्वांगीण विकास समेत कई शर्तों के तहत काम करना था।
ज्ञापन में कहा कि आज भी विस्थापित जनता के सामने कई समस्याएं हैं जिनका निराकरण होना चाहिए। इन समस्याओं की अनदेखी के चलते कई बार आंदोलन किए गए। सरकार ने उच्च स्तरीय समितियां गठित की। जनहित याचिकाओं में अनावश्यक काट छांट की जाती रही आदि कई मुद्दे हैं। टिहरी बांध जलाशय के कारण कई स्थानों पर भूमि का धंसाव व कटाव हो रहा है, कई गांव खतरे की जद में हैं। इस परिपेक्ष्य में उत्तराखंड सरकार ने ऐसे 415 परिवारों के पुनर्वास का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है लेकिन टीएचडीसी इंडिया ने इससे साफ इनकार कर दिया है।
ज्ञापन में कहा गया है कि विनिवेश प्रक्रिया से पहले उपरोक्त शर्तों का गहन अध्ययन करने के साथ ही सभी मामलों का निस्तारण किया जाए। टीएचडीसी में उत्तराखंड की हिस्सेदारी तय करते हुए कम्पनी में कार्यरत कर्मचारियों के हित भी सुरक्षित किए जाएं।
ज्ञापन देने वालों में पालिकाध्यक्ष सीमा कृशाली, आकाश कृशाली, देवेश्वर उनियाल, नवीन सेमवाल, नेहा राणा, श्रीमती सरोज पंवार, अनिता पैन्यूली, आशा रावत, अनिता देवी, मंजीत राणा, न्याज बेग, सुरेंद्र बिष्ठ, मो. परवेज, सुनील भण्डारी, राजेंद्र पैन्यूली, अनुपम भट्ट, सोमदत्त उनियाल समेत कई लोग शामिल रहे।