“टिहरी यूथ क्लब पोर्टल” के माध्यम से युवाओं को स्वरोजगार व सरकारी योजनाओं की मिलेगी जानकारी- नमामि बंसल

“टिहरी यूथ क्लब पोर्टल” के माध्यम से युवाओं को स्वरोजगार व सरकारी योजनाओं की मिलेगी जानकारी- नमामि बंसल
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नई टिहरी। मुख्य विकास अधिकारी श्रीमती नमामि बंसल ने कहा कि टिहरी जिले के स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने तथा अन्य विकास योजनाओं की जानकारी के लिए “टिहरी यूथ क्लब” पोर्टल की लॉन्चिंग मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को की है। पोर्टल पूरी तरह स्वैच्छिक वॉलेंटियर प्लेटफार्म है। पोर्टल पर  निःशुल्क रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।

मीडिया को विकास योजनाओं की जानकारी देती सीडीओ नमामि बंसल

इससे हमारा जो युवा वर्ग है वह इससे जुड़ें हमारा प्रयास रहेगा। बहुत सारी हमारी सामुदायिक गतिविधियां हैं जिसमे हम चाहते हैं कि युवा वर्ग जुड़े और सरकारी गतिविधियों की जानकारी ले सकें। इसके लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया जा रहा है ताकि उसमें जुड़ सकें। ग्रुप के माध्यम से स्थानीय युवाओं और बेरोजगारों को स्वरोजगार संबंधी पूरी जानकारियां दी जाएंगी ताकि युवा सरकारी योजनाओं का फायदा उठा सकें। पोर्टल से एक लाभ यह भी होगा कि युवाओं को सरकारी कार्यक्रमों व योजनाओं से जोड़ने में आसानी होगी। साथ ही युवाओं की क्षमता के अनुसार कौशल विकास हो पाएगा।

सीडीओ ने कहा कि यह भी युवाओं से जानने का प्रयास किया जाएगा कि वे कौन से स्वरोजगार को पसंद करते हैं, जिसके के आधार पर कौशल विकास करते हुए स्वरोजगार परक योजनाओं से जोड़ने का काम किया जायेगा। 

उन्होंने कहा कि अभी तक विकास खण्ड स्तर पर कैंप के माध्यम से स्वरोजगार की जानकारी युवाओं को दी जा रही है। टिहरी यूथ क्लब पोर्टल से यह और सुलभ हो पाएगा। कहा कि सामुदायिक रेडियो हेंवलवाणी के माध्यम से संचार विहीन गांवों को जोड़कर वहां भी स्वरोजगार की गतिविधियों का बढ़ाने का काम किया जायेगा। 

सीडीओ ने कहा कि विकास खंडों की प्रकृति के अनुसार रोजगार विकसित करने का भी काम जारी है। आपदा से जिले में कई विकास योजनाओं को नुकसान हुआ है। लेकिन हमारा सबसे ज्यादा फोकस अभी आजीविका संवर्धन और जल संरक्षण पर है। मनरेगा में भी लक्ष्य के अनुरूप रोजगार देने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा कुछ विकास खंडों में तुलसी उत्पादन और डेयरी उत्पाद पर फोकस किया जा रहा है।

नमामि ने कहा कि जंगली जानवरों व बंदरों के आतंक से लोग पारंपरिक खेती नहीं कर पाते हैं उनकी फसलों को जंगली जानवरों से नुकसान से कैसे बचाया जा सकता है इसपर भी कम कर रहे हैं। एक उपाय तो यह भी हो सकता है कि हम ऐसी फसलें तैयार करें जिन्हें सूअर और बंदर पसंद नहीं करते।


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Govind Pundir

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