अतिथि के स्वागत-सत्कार से भगवान, संत और पूर्वज होते हैं खुश — नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज

अतिथि के स्वागत-सत्कार से भगवान, संत और पूर्वज होते हैं खुश — नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज
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चिन्यालीसौड़ उत्तरकाशी। मनुष्य को घर आए अतिथियों का खुश होकर स्वागत-सत्कार करना चाहिए। इससे घर के लोगों पर भगवान, संत और घर के पूर्वज हमेशा खुश रहते हैं और उस घर पर हमेशा कृपा बनाए रखते हैं। अतिथि की सहायता से गरीब किसान धन्ना ने भगवान को पाया था।

यह बात पूज्य संत श्री स्वामी रसिक  महाराज ने उत्तरकाशी जनपद के भ्रमण के दौरान चिन्यालीसौड़ में उत्तरकाशी महाविद्यालय छात्रसंघ के महासचिव श्री देशराज विष्ट के आवास पर आयोजित धर्मसभा में वेदांत उपनिषद पर आधारित प्रवचन में कही. संतश्री ने मनुष्य जीव क्या है। ईश्वर क्या है। ईश्वर है। इसकी प्रत्यक्ष अनुभूति कैसे हो। मृत्यु होने पर प्राणों का विसर्जन शरीर के किस अंग से हुआ, जिससे आगे की गति का शास्त्रों के अनुसार अनुमान लगाया जा सके आदि गहन व गूढ़ विषयों पर अपनी बात कही। पांच साल के नचिकेता ब्राह्मण कुमार की कथा के आधार पर अतिथियों का मनुष्य जीवन में क्या महत्व है, उसका गूढ़ रहस्य समझाया है। इस अवसर पर छात्रसंघ महासचिव देशराज विष्ट एवं उनके पारिवारिक जनों द्वारा जीतू बग्डवाल की प्रतिमा महाराज श्री को भेंट की गई. मौके पर साध्वी माँ देवेश्वरी जी, श्री अव्वल सिंह विष्ट, सुशीला देवी,  शिवराज सिंह, विपिन विष्ट, अतर सिंह, कु0 भारती,
सुरेन्द्र सिंह, आरती देवी, विमल विष्ट, नेहा विष्ट  उपस्थित रहे.


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Govind Pundir

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