सख्त भू कानून की मांग को लेकर गोष्ठी आयोजित

सख्त भू कानून की मांग को लेकर गोष्ठी आयोजित
Please click to share News

नई टिहरी। उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर साईं चौक बौराडी में राज्य आंदोलनकारी मंच टिहरी गढ़वाल की ओर से एक विचार गोष्ठी  “उत्तराखंड विमर्श” का आयोजन किया गया।

गोष्ठी में टिहरी के राज्य आंदोलनकारियों तथा शहर के प्रबुद्ध नागरिकों ने प्रतिभाग किया । गोष्ठी में वक्ताओं ने  21 साल के वयस्क राज्य ने अभी तक ‘क्या खोया क्या पाया’ विषय पर विचार रखे।

राज्य आंदोलन के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों की याद में Candle Lighting करते हुए उत्तराखंड की जय के नारों के साथ राज्य आंदोलन के संघर्ष के दौरान गाए जाने वाले गीतों को भी ताजा किया।

कार्यक्रम में पूर्व विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा कि हम सबकी गलतियों से आज राज्य बहुत सी बातों में अपने मार्ग से भटक गया है। उत्तराखंडियत को बचाए रखने के लिए पहाड़ की जनता के दुख दर्द को समझना अति आवश्यक है। उन्होंने वनाधिकार को उत्तराखंड के जनमानस के दुख दर्द का एकमात्र इलाज बताया।कहा कि समस्त उत्तराखंड को ओबीसी का दर्जा दिया जाए।

राज्य आंदोलनकारी एवं वरिष्ठ अधिवक्ता महावीर प्रसाद उनियाल तथा राजेंद्र सिंह असवाल ने प्रदेश में एक सख्त भू कानून लागू करने की बात कही और कहा यह भू-कानून पूरे प्रदेश की 100% भूमि के लिए लागू होना चाहिए जिसमें हमारे जंगल भी शामिल हों।

मंच की उपाध्यक्ष उर्मिला महर सिल्कोटी एवम सुन्दर लाल उनियाल ने कहा के आंदोलनकारियों की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए और प्रदेश या शहर के होने वाले किसी भी नीति निर्धारक कार्य में आंदोलनकारियों का प्रतिनिधित्व भी होना चाहिए।

मंच के महासचिव किशन सिंह रावत एवं देवेन्द्र नौडियाल ने कहा कि मंच कई समय से यह मांग करता रहा है कि नई टिहरी स्थित कारगिल शहीद स्मारक अब बौराड़ी में स्थानांतरित हो गया है इसलिए उक्त स्मारक को राज्य आंदोलन के शहीदों के स्मारक के तौर पर विकसित किया जाए और उसमें स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी जी की विशाल प्रतिमा तथा साथ ही राज्य आंदोलन के संघर्ष में शहीद हुए आंदोलनकारियों के नाम सहित चित्र लगाए जाए।

श्री ज्योति प्रसाद भट्ट एवं श्रीपाल चौहान ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों तथा उनके आश्रितों  को गेस्ट हाउस,मेडिकल सुविधाएं, एवं कार्यालय की सुविधा भी प्रदान की जानी चाहिए।

श्रीमती रागिनी भट्ट ने कहा कि राज्य आंदोलन के दौरान एक बाल सेना का भी गठन किया गया था। वो बच्चे आज वयस्क हो चुके हैं उनको भी आंदोलनकारियों की श्रेणी में रखना चाहिए एवं जिन कर्मचारियों ने राज्य आंदोलन के दौरान अपनी नौकरी दाव पर लगाकर संघर्ष किया था,उन्हें भी राज्य आंदोलनकारी घोषित किया जाना चाहिए।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष देवेंद्र दुमोगा ने कहा कि राज्य आंदोलन जिन शहीदों की बदौलत हमें मिला है उन लोगों की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।उन्होंने कहा कि स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी जी जिन्हें पहाड़ का गांधी कहा जाता है, उनकी प्रतिमा हर जिला मुख्यालय पर लगाई जानी चाहिए और उनकी जीवनी स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल की जानी चाहिए।

कार्यक्रम का संचालन राज्य आंदोलनकारी मंच के जिला उपाध्यक्ष देवेंद्र नौडियाल ने किया।

उक्त कार्यक्रम में उपरोक्त के अलावा

इसरार अहमद फारुकी, महावीर उनियाल,राजेंद्र प्रसाद डोभाल, दीवान सिंह नेगी, सतीश चमोली, संतोष आर्य, पुरुषोत्तम पंत, सर्वेश्वर प्रसाद सकलानी आदि प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।


Please click to share News

Govind Pundir

Related News Stories