600 सालों से चली आ रही नौरता-मण्डान परंपरा को कायम रखे हुए हैं बमण गाँव पट्टी क्वीली के लोग, 14 नवंबर से होगी शुरुआत

600 सालों से चली आ रही नौरता-मण्डान परंपरा को कायम रखे हुए हैं बमण गाँव पट्टी क्वीली के लोग, 14 नवंबर से होगी शुरुआत
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पोखरी क्वीली। उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहते। विश्व भर में विख्यात देवभूमि उत्तराखंड अपने खास रीति-रिवाजों के लिए जाना जाता है। यहां देवी देवताओं का वास है। भले ही बदलते वक्त और परिस्थितियों के चलते पहाड़ की पौराणिक परंपराएं दम तोड़ती जा रही हैं, मगर आज भी कई क्षेत्र और गांव ऐसे हैं जो आज भी अपनी पौराणिक परंपराओं को जिंदा रखे हुए हैं। अपनी उन्हीं पौराणिक परंपराओं को आज भी जिंदा रखे हुए है विकासखंड नरेंद्र नगर की पट्टी क्वीली का *बमण गांव*।

बमण गांव में हर 3 साल के बाद अपने कुल/ईष्ट देवी-देवताओं का स्मरण व आह्वान करते हुए ढोल-दमाऊं की थाप पर एक विशेष तरह का नौरता-मंडाण लगाया जाता है। जिसमें गांव के ही नहीं क्षेत्र के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

पंडों के नाम से विख्यात नौरता-मंडाण के आयोजन के लिए पंडित मनोहरी लाल की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया।

बैठक में नौरता-मंडाण संरक्षण मंडल तथा संचालन समिति का गठन किया गया। संरक्षण समिति में पीतांबर दत्त बिजल्वाण, मूर्ति सिंह रावत,भक्ति प्रसाद बिजल्वाण,दर्शन लाल बिजल्वाण आदि को सर्वसम्मति से चयन किए जाने के साथ इनके दिशा निर्देशन में विशेष पहाड़ी राज्य उत्तराखंड मे जहां पौराणिक परम्पराओ और रीति रिवाजो को बचाने के लिये कई क्षेत्रों से सामाजिक कार्यकर्ता प्रयासरत हैं।

वहीं गढवाल के 52 गढ़ो में से प्रसिद्ध क्वीली गढ़ के समीप प्राचीन गांव बमण गाव जो की राजशाही के समय से ही काफी प्रसिद्धि प्राप्त गाव मे से एक जिसे राजशाही के दौरान कुली-बेगार पर्था से अलग रखा गया था। क्योंकि यहां राज रसोइया (सरोला) जाति के बिजल्वाणो का मूल गाँव था। जिनका राजशाही परिवार बहुत सम्मान करता था। 

इस पौराणिक प्रसिद्ध गाँव मे 600 सालों से यह पौराणिक परम्परा (पण्डो के नौरता-मंडाण) अपने पौराणिक रीति रिवाजों के साथ चली आ रही है। इस गांव में हर तीन साल के पूरे होने पर नोरता पण्डो मंडाण का आयोजन किया जाता है। 

आज पंडित मनोहरी लाल बिजल्वाण की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गयी। जिसमे पण्डो मंडाण के आयोजन हेतु संरक्षक मण्डल और संचालन समिति का गठन किया गया। 

संचालन समिति में श्री पीताम्बर दत्त बिजल्वाण,मूर्ती सिह रावत, भक्ति प्रसाद बिजल्वाण, दर्शन लाल बिजल्वाण को दायित्व सौंपा गया है। समिति का अध्यक्ष श्री ईश्वरी प्रसाद बिजल्वाण पूर्ब ज्येष्ठ प्रमुख नरेंद्र नगर व कोषाध्यक्ष श्री बुद्धि सिंह रावत पूर्व जनसंपर्क अधिकारी मुख्यमंत्री उत्तराखंड एवं श्री दिनेश बिजल्वाण प्रधान बमण गांव को सचिव का दायित्व दिया गया है। समापन दिवस की व्यवस्था लोक गायक श्री विनोद बिजल्वाण की रहेगी।

*पौराणिक परम्परा मे सम्मिलित गाँव बमण गाव, थन्यूल, खुणकीधार अन्दर्फिगाव, भटोली, ददेली, कंडारी गांव, पलोगी, पोखरी,बमण खोला, मणगाव, सौंटियाल गाँव के पौराणिक समय से सम्मिलित हो रहे परिवार मुख्य पूजा में सम्मिलित होंगे व कार्यक्रम में अपना सहयोग पूर्व की भांति देते रहेंगे।

कार्यक्रम इस प्रकार है-

यज्ञ का शुभारंभ 14 नवम्बर 2021

यज्ञ का पंचम दिवश 18 नवम्बर 2021

 (ध्वज, कुन्ती माता, पन्ड़ो का आवाह्न)

यज्ञ का अष्टम दिवश 21 नवम्बर 2021

(तीर्थ स्नान हेतु निसानो के साथ प्रस्थान)

यज्ञ की पूर्णाहुति 22 नवम्बर 2021 को होगी।

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Govind Pundir

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