वन अनुसंधान संस्थान में मनाया गया पृथ्वी दिवस

वन अनुसंधान संस्थान में मनाया गया पृथ्वी दिवस
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देहरादून। वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के वन पारिस्थितिकी एवं जलवायु परिवर्तन प्रभाग तथा एनविस आरपी के संयुक्त तत्वावधान में “आजादी का अमृत महोत्सव” कार्यक्रम के अंतर्गत पृथ्वी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के महानिदेशक श्री अरुण सिंह रावत, भा.व.से. जी मुख्य अतिथि के रूप में उपसथित रहें।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में डॉ. वी. पी. पँवार ने उपस्थित सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया और पृथ्वी दिवस के अवसर पर आयोजित की जाने वाली गतिविधियों के बारे में अवगत किया।

वन अनुसंधान संस्थान की निदेशक महोदया डॉ रेणु सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि पृथ्वी दिवस हमें हमारे ग्रह को बचाने की दिशा में काम करने की हमारी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है क्योंकि यह पारिस्थितिक मुद्दों की ओर एक संकेतक के रूप में कार्य करता है। पृथ्वी दिवस एक अलार्म है जो हमें लगातार ग्लोबल वार्मिंग से चेतावनी देता रहता है। तापमान वृद्धि ने पर्याप्त जलवायु परिवर्तन और वैश्विक आपदाएँ पैदा की हैं। प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और वनों की कटाई जैसे कई मुद्दों के कारण, हमारी पृथ्वी पीड़ित है।

उसके बाद महानिदेशक, आईसीएफ़आरई अरुण सिंह रावत ने कहा कि एक इंसान के रूप में हमें पृथ्वी के कल्याण के बारे में सोचने के लिए अपना ज्यादा समय निवेश करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि पृथ्वी को सतत बनाए रखने के लिए आवश्यक सभी निवेशों में यह सबसे महत्वपूर्ण है। श्री रावत ने आईसीएफआरई और हमारे देश की वैज्ञानिक उन्नतियों में अपना विश्वास दिखाते हुए कहा कि हमारी पृथ्वी को स्वस्थ और विविधता से परिपूर्ण रखने में ये महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। इस वर्ष पृथ्वी दिवस का आधिकारिक विषय “हमारे ग्रह में निवेश करें” है। पांच प्राथमिक कार्यक्रम हैं: द ग्रेट ग्लोबल क्लीनअप, सस्टेनेबल फैशन, क्लाइमेट एंड एनवायर्नमेंटल लिटरेसी, कैनोपी प्रोजेक्ट, फूड एंड एनवायरनमेंट, और ग्लोबल अर्थ चैलेंज। उन्होंने चर्चा की कि मुख्य समस्या कचरा निपटान और पर्यावरण की सफाई है। उन्होंने बताया कि एफआरआई परिसर में भी हम कई सफाई अभियान चलाए जाते रहते हैं और परिसर को साफ रखने की कोशिश की जाती रहती हैं। उन्होंने दुनिया भर में अधिक पेड़ लगाने पर भी जोर दिया जो स्वस्थ वातावरण प्रदान कर सके।
उद्घाटन सम्बोधन के उपरांत डॉ. अनुराग सक्सेना, प्रधान वैज्ञानिक (आईसीएआर-एनडीआरआई) ने ” Saving the planet agroecosystem” शीर्षक विषय पर एक व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने व्याख्यान में स्पष्ट किया कि हर कोई एक सुरक्षित एवं सुंदर दुनिया में रहना चाहता है। हमारी दुनिया खतरे में है क्योंकि प्रदूषण एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। विभिन्न प्रकार के प्रदूषक, रसायनिक प्रदूषक, घरेलू और औद्योगिक कचरे आदि सबसे बड़े प्रदूषण के कारक है। उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि इसके प्रभाव असामान्य रूप से दीर्घकालिक चरित्र के हैं। उन्होंने हरित क्रांति और इसके प्रभाव के बारे में भी चर्चा की। हरित क्रांति के दुष्प्रभाव के रूप में यह देखा गया कि अधिकांश वन क्षेत्र को कृषि कार्य के लिए उपयोग किया गया और फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए उर्वरकों, कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग किया गया, जिसका मानव स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ने लगा। उन्होंने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि सभी CO2 उत्सर्जन को कम करें। उन्होंने जैविक खेती की भी वकालत की जैसा कि प्राचीन साहित्य में भी उल्लेख किया गया है।

इस अवसर पर वन अनुसंधान संस्थान सम विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर छात्रों के बीच “एक पृथ्वी एक ग्रह” विषय पर एक भाषण प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर पियूस चावडा, दूसरे स्थान पर अनुश्रीता दत्ता व तीसरे स्थान पर जोपी बोमजेम रहे। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन डा० अभिषेक वर्मा द्वारा किया गया।


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Garhninad Desk

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