पर्यावरण प्रेमी सेवानिवृत्त वन दरोगा प्रेमदत्त थपलियाल को नहीं मिला वह सम्मान, जिसके थे वे हकदार

पर्यावरण प्रेमी सेवानिवृत्त वन दरोगा प्रेमदत्त थपलियाल को नहीं मिला वह सम्मान, जिसके थे वे हकदार
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  • सेवाकाल में गुलदार से भिड़कर बचाई थी लोगों की जान।
  • पर्यावरण के प्रति लोगों को कर रहे हैं जागरूक।


नई टिहरी। आज विश्व बाघ संरक्षण दिवस के मौके पर सेवानिवृत्त वन दरोगा प्रेम दत्त थपलियाल का जिक्र करना जरूरी है, जिन्होंने अपने सेवाकाल में उल्लेखनीय कार्य किया। हालांकि उन्हें उस कार्य के लिए जो सम्मान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल पाया।
चंबा प्रखंड के गुनोगी गांव निवासी सेवानिवृत्त वन दरोगा प्रेमदत्त थपलियाल वर्ष 2016 में 24 जुलाई को जब वन विभाग की पौखल रेंज में कार्यरत थे, तो उन्हें सूचना मिली कि क्षेत्र के नजदीकी गांव में गुलदार ने एक महिला पर हमला कर दिया है, तब वे अपने साथी फॉरेस्ट गार्ड आनंद सिंह रावत के साथ मौके पर पहुंचे और महिला को बचाने के लिए गुलदार से भिड़ गए। उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर न केवल महिला को बचाया, साथ ही अपने साथी आनंद सिंह रावत को भी गुलदार से बचाया।

महत्वपूर्ण बात यह है कि इस घटना से गांव के लोग बहुत ज्यादा आक्रोशित थे और वे गुलदार को भी मारना चाहते थे, लेकिन प्रेमदत्त थपलियाल ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने एक साथ तीन महत्वपूर्ण कार्य किए। महिला को गुलदार से बचाने के अलावा अपने साथी आनंद सिंह रावत को भी बचाया और गुलदार को गांव से दूर खदेड़ा। उन्हें इस बात का बखूबी एहसास था कि महिला को बचाने के साथ-साथ गुलदार को बचाना भी महत्वपूर्ण है। इस घटना में उन्होंने जिस बहादुरी के साथ अपनी जान की परवाह न करते हुए गुलदार का सामना किया व उसे दूर खदेड़ा, वह प्रशंसनीय है। इस घटना में वे घायल भी हो गए थे। गौर करने वाली बात यह है कि उन्होंने घायल होने पर अस्पताल में अपना उपचार स्वयं करवाया। जबकि वन विभाग के उच्चाधिकारियों को इस कार्य के लिए उनकी पीठ थपथपानी चाहिए थी और उन्हें सम्मानित भी किया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। न ही उन्हें विभाग की ओर से सम्मानित किया गया और घायल होने पर विभाग ने उनका उपचार भी नहीं कराया।

आखिरकार कुछ साल और नौकरी करने के बाद वे सेवानिवृत्त हो गए। लेकिन जंगलों के प्रति उनके प्रेम में कोई कमी नहीं आई। वे लोगों को जंगलों के संरक्षण के प्रति समय-समय पर जागरूक करते रहते हैं और कविता और नारा लेखन के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करने में लगे हैं। उस घटना का जिक्र करने पर वह एक ओर वे खुशी जाहिर करते हैं कि उन्होंने अपने कर्तव्य का बखूबी पालन किया और दूसरों के काम भी आ सके, लेकिन वहीं दूसरी ओर उनके मन में एक टीस भी है कि विभाग के लोगों ने उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया।

गौर करने वाली बात यह है कि इस तरह के लोगों को यदि प्रोत्साहित नहीं किया गया तो समाज हित का काम करने वाले लोग कैसे प्रोत्साहित होंगे। विभाग की ओर से तो उन्हें सम्मानित नहीं किया गया, लेकिन चंबा क्षेत्र के सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने निर्णय लिया है कि आने वाले दिनों में उन्हें सम्मानित किया जाएगा।

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Govind Pundir

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