श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में स्वीकृत सीटों से अधिक सीटों पर परीक्षायें कराये जाने को जांच समिति गठित

श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में स्वीकृत सीटों से अधिक सीटों पर परीक्षायें कराये जाने को जांच समिति गठित
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  • पूर्व सूचना आयुक्त राजेन्द्र कोटियाल की अध्यक्षता में गठित हुई उच्च स्तरीय जांच समिति
  • विश्वविद्यालय के संलिप्त अधिकारियों/कर्मचारियों, यदि दोषी पाये गये तो होगी कठोर कार्यवाही
  • पूर्व में स्वीकृत सीटों से अधिक सीटों पर प्रवेश करने वाले निजी महाविद्यालयों पर भी होगी कार्यवाही व निगरानी

टिहरी गढ़वाल, 27 सितम्बर 2022। श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2019-20 से पूर्व में आयोजित हुई सभी परीक्षाओं में, विभिन्न महाविद्यालयों/संस्थानों में स्वीकृत सीटों से अधिक सीटों पर परीक्षायें करवाये जाने की तथा सम्बन्धित अधिकारियों /कर्मचारियों की संलिप्तता की, जांच करने हेतु पूर्व सूचना आयुक्त एडवोकेट राजेन्द्र कोटियाल की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय ’जांच/तथ्यान्वेषण समिति’ का गठन किया है।
यह अवगत करा दें कि सत्र 2019-20 में कुछ महाविद्यालय ने बिना स्वीकृत सीटों से अधिक सीटों पर निजी संस्थानों में प्रवेश करा दिये थे और विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा परीक्षायें भी अयोजित करवा दी गयी थी, जिसका कि विभिन्न समाचार पत्रों ने संज्ञान लिया था। विश्वविद्यालय ने इस प्रकरण को गम्भीरता से लिया था, क्योंकि इस प्रकरण से विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हुयी है और कुछ अधिकारियों/कर्मचारियों की संलिप्तता पर भी उंगली  उठी थी। फलस्वरूप, विश्वविद्यालय द्वारा प्र0 कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक को ’प्रारम्भिक जांच’ हेतु आदेशित किया गया था।

विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक/ तत्कालीन प्र0 कुलसचिव ने अपनी ’प्रारम्भिक जांच’ आख्या विश्वविद्यालय को फरवरी, 2022 में उपलब्ध करा कर दी है। प्रारम्भिक जांच आख्या आदि के अवलोकन के मध्यनजर विश्वविद्यालय ने इस गम्भीर प्रकरण की सम्यक जांच हेतु पूर्व सूचना आयुक्त एडवोकेट राजेन्द्र कोटियाल की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय ’जांच/तथ्यान्वेषण समिति’ का गठन किया है ताकि विश्वविद्यालय में पूर्व में आयोजित सभी परीक्षाओं की सम्यक जांच हो सके और नियम विरूद्ध कार्य करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों पर नियमानुसार कठोर कार्यवाही हो सके। विश्वविद्यालय से शैक्षणिक भ्रष्टाचार को हमेशा के लिये समाप्त किया जाना विश्वविद्यालय के समक्ष एक कठिन चुनौती है जिसे समाप्त किया जाना छात्र और विश्वविद्यालय हित में जरूरी है। 


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Govind Pundir

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