भूमि के बदले भूमि देने की मांग को लेकर झील किनारे तिवाड़ गांव के ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू

भूमि के बदले भूमि देने की मांग को लेकर झील किनारे तिवाड़ गांव के ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू
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टीएचडीसी पर वादाखिलाफी का आरोप

2004 में बांध के कारण करीब 200 नाली जमीन झील में समा गई थी

टिहरी गढ़वाल। उत्तरायणी भागीरथी समिति के बैनर तले आज 6 सितम्बर को टिहरी झील किनारे तिवाड़ गांव मरोड़ा के ग्रामीणों ने टीएचडीसी के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। जमीन के बदले जमीन की एक सूत्रीय मांग को लेकर आज बड़ी संख्या में तिवाड़ गांव की समस्त महिलाओं, बुजुर्गो व बच्चो ने मांग पूरी न होने तक धरने पर बैठने का निर्णय लिया है।

समिति के अध्यक्ष कुलदीप पंवार ने कहा कि वह पिछले 15 सालों से टीएचडीसी प्रशासन को ग्रामीणों की जायज मांगो को हल करने की मांग करते आ रहे हैं किन्तु टीएचडीसी प्रशासन उनकी मांगों को हल नहीं कर रहा है।

झील किनारे धरना देते ग्रामीण

उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की 18 से 48 प्रतिशत जमीन झील में डूब गई है और अभी तक उन्हें कुछ नही मिला है। काश्तकारों के पास खेती की जमीन भी नहीं बची है।

पंवार ने कहा कि 2004 में टिहरी जलाशय बनने के कारण तिवाडग़ांव व मरोड़ा की कोटी गाड नामे तोक में लगभग 200 नाली सिचित भूमि डूब गई थी। चूंकि पुनर्वास नीति विस्थापन प्रक्रिया के तहत 50 प्रतिशत भूमि अधिकृत किए जाने पर विस्थापन किया जाता है जबकि उपरोक्त काश्तकारों की 18 से 48 प्रतिशत तक की भूमि जलमग्न हो चुकी है जिस पर टी एच.डी.सी/ प्रशासन ने ग्रामीणों की भूमि की प्रति नाली दर बहुत  कम आंकी थी जिसको लेने से ग्रामीणों ने मना कर दिया था उक्त राशि एस.एल.ओ. में जमा है। 

कहा कि ग्रामीण की मांग है कि डूबी हुई भूमी के बदले भूमि ग्राम गोरण में पुनर्वास विभाग द्वारा तिवाडगाव मरोड़ा हेतू दिखाई गई थी, जिस पर ग्रामिणों द्वारा अपनी सहमती दिए जाने के बावजूद भी टीएचडीसी द्वारा कोई सकारात्मक सहमती नही दी गई।

 धरने में बैठने वालों में कुलदीप सिंह पंवार 

बालम सिंह दिनेश पवार, साव सिंह पंवार, नरेंद्र, गुलाब सिंह, सोबती देवी, प्रमिला, सुनना, उषा, कविता, शुरबीर, हुकम सिंह, गबर सिंह समेत कई ग्रामीण शामिल हैं।


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Govind Pundir

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