गुरु कैलापीर यात्रा का पांचवा दिन

गुरु कैलापीर यात्रा का पांचवा दिन
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(घनसाली से लोकेन्द्र जोशी)

6 जून गुरु कैलापीर की पांचवे दिन की यात्रा तितरुणा से ग्राम पंचायत अगुँडा के लिए प्रस्थान हुई। तिरुणा एवं कोट विशन का नाम लेने से ही उनके ग्राम देवता महासर् नाग और टिनगढ्या की डोली और छ्त्तर , त्रिशूल का स्वाभाविक रूप से मन मस्तिष्क में छा जाते है। भल्ड गाँव स्थित तिनगढ मंदिर एवं कोटविशन तितरुणा में महासर् नाग बहुत पूजनीय हैं। तिनगढ्या देवता को आस्था पूर्वक स्मरण करने से ब्यक्ति के दुखों न्याय पूर्वक निर्णय भी होता है।

किंतु गंगा दशहरे के दिन महासर् ताल की यात्रा बहुत आनंद दाई होती है। बूढाकेदार के ग्राम थाती से घनालि बस्ती तक यात्री पहुँचने पर, तथा कुछ यात्री तिरुणा गाँव पहुंचने पर वहाँ की खट्टी मीठी स्वादिष्ट चूलु/चुली (पीला खुमानी शब्द ही मेरे पास है)का खूब आनंद लेते हैं। वैसे ककड़ी के सीजन में रसीली ककड़ी भी मन भर खाने से गाँव के लोग ऐतराज नहीं करते।

बहुत कुछ आनंद हमारे गाँव में था परंतु कुछ बर्षों से दूरस्थ क्षेत्रों में भी जंगली जानवरों ने फसल नष्ट कर जीवन दुःखी कर रखा है।

गुरु कैलापीर की यह भब्य यात्रा तब और रोमांचित करती हैहै।जब तिरुणा से ठीक सामने कोटि गाँव का सुबह का सूर्योदय से दमकता हुआ कोटि गाँव का सुंदर नजारा तथा कोटि अगुंडा गाँव के बीच बहती धर्म गंगा का सुंदर दृश्य दिखता है।

दिन की दोपहरी में गुरु कैलापीर यात्रा का अगुंडा ग्राम वासियों के द्वारा बेशब्री से इंतजार खत्म हुआ और अपने आराध्य देवता के दर्शन करके अपने आप को धन्य समझ रहे हैं। ग्रामवासियों के द्वारा यात्रियों को पंगत पर सत्कार पूर्वक भोज करवाया गया।

अगुँडा गाँव टिहरी जनपद. भिलंगना क्षेत्र का बहुत ऐतिहासिक गाँव है इस गाँव में आजादी के सुरुवाती वर्षों में उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष-1958 में पशुपालन विभाग का राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र नाम से अपना संस्थान खोला जो यह साबित करता है कि लखनऊ में बैठी सरकार भी जानती थी कि उस जमाने में कृषि एवं पशु पालन पहाड़ के लोगों का आजीविका का मुख्य साधन रहा।

,मुझे बचपन के दिनों की याद है यहाँ कार्यरत पशुधन प्रसार अधिकारी मानव चिकित्सा सुविधा के घोर अभाव में डॉ. गौड़ एवं डॉ.बिष्ट जी आज के एम्स के बड़े चिकित्सक जैसे होते और पूरे थाती कठूड एवं बासर पट्टियों के गाँव से गाँव मीलों पैदल चल कर दीन दुखियों का उपचार कर उन्हे जीवन देते। परंतु वही मेढ़ा केंद्र आज अपने सरकारी दामन से उपेक्षित है।

यात्रा से यह बात तो सामने आ रही है उत्तराखंड सरकार की अधिकांश योजनाएं असफल है! स्कूल कालेज शिक्षक विहीन हैं! तो मोटर मार्गों की बहुत खस्ते हाल हैं !ग्रामीण जान जोखिम कर सफर कर रहे हैं। जिसका उदाहरण बूढ़ाकेदार कोट विशन से घंडियाल सोड – तिरुणा मोटर मार्ग है। क्षेत्र के अस्पताल रेफर सेंटर बने हैं! सरकारी स्कूल और सरकारी अस्पताल सरकारों के घोर उपेक्षा पूर्ण रवैये से तृष्कृत हैं । जिससे गाँव का पलायन बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। जिसका कारण सरकार की ओर से अपने संस्थानों में नियुक्ति न करना है। जब कि दूसरी ओर पलायन आयोग का गठन अपने आप में विरोधाभाष है।
ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में प्रबुद्ध लोग यात्रा में शामिल है तो विकास की उमीदें उड़ान भर रही है!कि,सायद प्रबुद्ध लोगों का एक साथ अपने आराध्य देव के साथ यात्रा करना क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभाएगी। और संगठित रह कर समस्याओं के निराकरण हेतु संघर्ष का विगुल बजाएंगे। उमीद की जा सकती हैकि, शीघ्र बूढाकेदार झाला से भटवाड़ी मोटर मार्ग का निर्माण होगा। सरकार यदि चाहे तो झाला से भटवाड़ी सुरङ मार्ग भी बनाया जा सकता है। जो भी हो वह भविष्य की कोख में है। किंतु उक्त मोटर मार्ग बहु प्रतीक्षित एवं बहु उपयोगी है। परंतु यात्रियों के लिए यह राहत की बात है कि, अगुंडा से पिनस्वाड तक मोटर मार्ग निर्माण से यातायात सुचार है।
आज यात्रा भिलंगना प्रखण्ड के अंतिम दो गाँव उरणी से हो कर रात्रि विश्राम पिनस्वाड करेगी। यात्रियों के लिए अंन्तिम् गाँव हो सकता है किंतु गुरु कैलापीर का क्षेत्र कुश कल्याणी तक टिहरी रियासत के द्वारा जागीर के रूप में दी गयी है। जिसकी जानकारी अगले अंक में दी जाएगी। तब तक आप बने रहें।
गुरुकैलापीर की यह पवित्र एवं रमणीक यात्रा में देवी देवताओं के वाध्य यंत्रों के साथ बाजीगर क्रमशः बलबीर दास, मंगी दास, तुलसी दास, किशोरी लाल, कृपा लाल कमल लाल, पूरण लाल, सुंदर लाल सुरेंद्र, प्रताप लाल आदि के ढोल की थाप और रण सिंघा की गर्जना के साथ लयबद्ध गूंज यात्रा के गंतब्य की ओर स कुशल पहुँचने का संदेश देती है।
गुरू कैलापीर के सह यात्री के रूप में बड़ी संख्या में प्रबुद्ध लोग शामिल हैं नाम छूटने पर माफी चाहता हूँ। यात्री गण में सेवा निवृत प्रशासनिक अधिकारी सुरेंद्र सेमवाल गुरु कैलापीर के नेजवाल सुशील सेमावल, पुरुषोत्तम सेमावल, सेवानिवृत्त अध्यापक भक्ति प्रसाद सेमवाल संजय रावत, महावीर प्रसाद सेमावल, अवतार सिंह राणा, देवी प्रसाद सेमावल, सुशील राणा, राम प्रसाद सेमावल ,राम लाल शाह, माल चंद सिंह बिष्ट सुनील रांगड, महेश रामोला, सनूप राणा जितेंद्र गुसाईं, गणेश उनियाल, विक्रम सिंह तोमर, शिव शरण सेमावल. सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हैं। और मेरे सहयोगी के रूप में साब सिंह नेगी,सतीश रतूड़ी, हिम्मत रौतेला, भूपेंद्र नेगी जितेंद्र गुसाईं, राजेंद्र लेखावर् रमेश जिरवाण आदि हैं। आप सभी क्षेत्र वासियों का यात्रा निकाल कर उसमे उत्साह के साथ शामिल होना यह दर्शता है की 700 वर्षों पूर्व से गुरु कैलापीर की प्रति आज भी आम जन मानस में आस्था और विश्वास है।

गढ़ निनाद परिवार की ओर से भी आराध्य देव गुरु कैलापीर की यात्रा की सकुशल सम्पन होने की हार्दिक शुभकामनाएं।

              ----क्रमशः 03

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Govind Pundir

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