अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार: कोविड काल में मत्स्य पालन और कृषि द्वारा ग्रामीण भारत का सुदृढ़ीकरण

अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार: कोविड काल में मत्स्य पालन और कृषि द्वारा ग्रामीण भारत का सुदृढ़ीकरण
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  • राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायपुर के जंतु विज्ञान विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित
  • “मात्स्यकी एवं कृषि द्वारा ग्रामीण भारत का कोविड काल में सुदृढ़ीकरण” विषय पर शीर्ष कृषि एवं मत्स्य विज्ञान के वैज्ञानिकों ने ऑनलाइन प्रतिभाग कर दिया ब्याख्यान
  • गाँव में कृषि-फ्लोरिकल्चर, शहद उत्पादन, क्षेत्रीय खेती, मशरूम उत्पादन के लिए सरकार की बड़ी योजना

रमेश रावत, गढ़ निनाद समाचार * 5 जून 2020

रायपुर (देहरादून): राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायपुर में  “मात्स्यकी एवं कृषि द्वारा ग्रामीण भारत का कोविड काल में सुदृढ़ीकरण” विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। यह आयोजन 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर किया गया। वेबिनार का उद्घाटन राज्य के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, यूकोस्ट के महानिदेशक डॉ० राजेंद्र डोभाल, महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो० सतपाल सिंह साहनी, वेबिनार की कन्वीनर एवं ओर्गानिज़िंग सचिव डॉ० मधु थपलियाल तथा को-कन्वीनर प्रो० आशीष थपलियाल द्वारा किया गया।

महाविद्यालय के प्राचार्य ने अतिथियों का स्वागत कर प्रतिभागियों को शुभकामनायें दी। शुरुवात करते हुए कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि उत्तराखंड के प्रत्येक ब्लाक स्तर पर कृषि के सुदृढ़ीकरण के लिए कार्य किये जा रहे हैं। आगे बताया कि किसान को बाजार उपलब्ध करने की दिशा में खाका तैयार कर लिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि हर छोटे-बड़े गाँव में कृषि-फ्लोरिकल्चर, शहद उत्पादन, क्षेत्रीय खेती, मशरूम उत्पादन आदि पर एक करोड़ रुपय का व्यय किया जायेगा। पौड़ी में सेब उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है तथा सब्जियों के उत्पादन हेतु समूहों को पॉलीहाउस वितरण समेत अनेक प्रकार की सब्सिडी दी जा रही हैं। मंत्री उनियाल ने वेबिनार आयोजित करने के लिए डॉ० मधु थपलियाल की विशेष प्रशंसा की।

कार्यक्रम के अति-विशिष्ट अतिथि यूकास्ट के महानिदेशक डॉ० राजेंद्र डोभाल ने सम्पूर्ण उत्तराखंड की कृषि, जल एवं मछली उत्पादन के सुगठित प्रबंध के बारे में व्याखान दिया।

अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में नाइजीरिया से पर्यावरण स्पेशलिस्ट तथा परियोजना संयोजक यूनिडो, यूनिसेफ के काशी नाथ वाजपई ने एक्वा-पोनिक्स (बिना मिट्टी के पौधों के साथ मछली उत्पादन) पर व्याखान दिया। आईएआरआई, भारत सरकार, नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ० दीपक बिष्ट द्वारा पहाड़ों में कृषि के बदलाव विषय पर व्याखान दिया।

आईडब्लूपी, भारत सरकार, इंटरनेशनल वाटर प्लानिंग की एग्जीक्यूटिव सचिव एवं कंट्री संयोजक डॉ० बीना भट्ट ने जल संरक्षण, आजीविका एवं सुगम भविष्य पर व्याखान के माध्यम से चर्चा की।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के राष्ट्रीय कृषि आर्थिकी एवं नीति अनुसंधान संस्थान (ICAR-NIAP) (केन्द्र) के वैज्ञानिक एवं पूर्व में सलाहाकार नीती आयोग डॉ० शिवेंद्र श्रीवास्तव द्वारा ग्रामीण आर्थिकी पर बदलाव तथा कृषि एवं रोजगार पर इसके प्रभाव विषय पर बताया गया।

यूसर्क उत्तराखंड सरकार की वरिष्ट वैज्ञानिक डॉo मंजू सुन्द्रियाल द्वारा पहाड़ों के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुये आजीविका पर व्याखान दिया गया। वन्य जीव संस्थान की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ० रूचि बडोला द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की आर्थिकी एवं सुदृढ़ीकरण पर व्याखान दिया गया। आईटीसी के वैज्ञानिक डॉ० सुमित मंझखोला द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आलू उत्पादन पर व्याखान दिया गया। इलाहाबाद के कृषि विश्वविधालय – शॉट्स – के प्रो० दीपक लाल द्वारा रिमोट सेंसिंग द्वारा कृषि के क्षेत्रों में विकास पर व्याखान दिया गया।

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डीजीएम – एमएसएमई उत्तराखंड सरकार डॉ० महावीर सिंह सजवान द्वारा मछली उत्पादन द्वारा ग्रामीण आंचलों की आर्थिकी मजबूत करने पर व्याखान दिया गया। यूनीसेफ नाइजीरिया से डॉ० भावना माहेश्वरी द्वारा महिलाओं एवं शिशुओं के स्वास्थ्य के महत्व पर तथा यूनीसेफ द्वारा बच्चों और महिलाओं के लिए किये जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से बताया गया। वेबिनार में तकनीकी दिक्कत के कारण डीजीएम इमामी लिमिटेड कलकत्ता के डॉ० रमेश उनियाल तथा प्लेंटीका इंस्टिट्यूट के निदेशक डॉ० अनूप बडोनी द्वारा दूरभास से ही पहाडी क्षेत्रों में मशरूम, औसधीय पादप एवं सगन्ध पादप की खेती के बारे में बताया।

वेबिनार में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो० सतपाल सिंह साहनी ने जंतु विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार को महाविद्यालय के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि। उन्होंने देश-विदेश के सभी वैज्ञानिकों को तथा मुख्य अतिथि एवं अति विशिष्ट अतिथि का आभार जताया।

कार्यक्रम की संयोजिका डॉ० मधु थपलियाल, विभागाध्यक्ष जंतु विज्ञान विभाग ने  कहा कि डॉ0 राजेंद्र डोभाल ने प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और विज्ञान पुरुष होने के नाते प्रदेश में विज्ञान के क्षेत्र में एक अलख जगाई है। डॉ0 डोभाल ने राज्य में आधुनिक अनुशंधान युक्त विज्ञान धाम कि स्थापना कर विज्ञान के अध्ययन और प्रयोग के लिए असली विकास का काम किया है।

डॉ० मधु थपलियाल कि बताया कि उन्हें गाँव और प्रकृती से बेहद लगाव है, और कहाँ कि कोविड काल में जिस प्रकार शहरों से गाँव के ओर पलायन हो रहा है – ऐसे समय में मंथन एवं प्रबंधन आवश्यक हैं और गांवों की जैव विविधिता को बचा कर रखते हुये कृषि को सुदृढ़ करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि देश-विदेश के युवा वैज्ञानिक लीडरों पर आज सबकी नजर है कि वे किस प्रकार आम आदमी के जीवन को कोविड काल में सुगम बनाया जा सकता है?

वेबिनार के समापन पर डॉ० मधु थपलियाल ने मुख्य अतिथि, अति विशिष्ट अतिथि, सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद देते हुए बताया कि देश के कई राज्यों, सिंगापुर, कनाडा – मिसीसागा आदि के 251 प्रतिभागी जुड़े। अंत में उन्होंने महाविध्यालय के प्राचार्य प्रो० सतपाल सिंह साहनी जी का उनके सहयोग एवं मार्गदर्शन हेतु धन्यवाद दिया।


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