मुख्यमंत्री ने कहा टिहरी में भागीरथी तट पर बनेगा विश्वस्तरीय वैदिक स्कूल: टिहरी लेक फेस्टिवल का किया शुभारंभ

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आपदा में मृतकों की आत्मा की शांति और प्रदेश की खुशहाली को की प्रार्थना

गढ़ निनाद समाचार* 16 फरवरी 2021

कोटी कॉलोनी/नई टिहरी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, सुबोध उनियाल, डॉ धन सिंह रावत ने आज दो दिवसीय टिहरी झील महोत्सव का सादगी के साथ दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने चमोली आपदा में मृतकों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त करते कहा कि भगवान उनको अपने चरणों में स्थान दे। 

कार्यक्रम की शुरुआत हेमा नेगी के ” दैणा होंयाँ खोली का गणेशा” गीत से हुई। महोत्सव में विभिन्न स्थानों से आयी देव डोलियों के माध्यम से धार्मिक परम्पराओं व उत्तराखंड की संस्कृति की झलक भी देखने को मिली। मुख्यमंत्री ने मेला स्थल पहुंचकर सबसे पहले देव डोलियों के दर्शन किए तथा चमोली आपदा में मृतकों की शांति सहित पूरे उत्तराखंड की खुशहाली के लिए प्रार्थना की। उन्होंने लोगों को बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई दी।

मुख्यमंत्री ने कहा की टिहरी झील महोत्सव करने की पहले कोई  तिथि तय नहीं थी पुरानी टिहरी में तो बसंत पंचमी को ही मेला लगता था। अब हमने नोटिफिकेशन कर दिया है, मेला अब हर साल बसंत पंचमी पर ही आयोजित किया जाएगा। इससे उत्तराखंड के पर्यटन को जहां नई दिशा मिलेगी वहीं रोजगार सृजन के भी अवसर प्राप्त होंगे। कहा कि हमने विचार किया कि आपदा से भी लड़ेंगे और आगे भी बढ़ेंगे। बड़े असमंजस की स्थिति के बाद हमने यह निर्णय लिया है।

मुख्य घोषणाएं–

सीएम ने कहा कि टीएचडीसी से 140 हेक्टेयर भूमि हमे वापस मिल गयी है, 500 हेक्टेयर और जमीन लेकर पर्यटन गतिविधियों को नियोजित करने का भी हमारा प्लान है। 

उन्होंने कोटी में स्थाई बोटिंग पॉइन्ट बनाने, घाट निर्माण करने, लाइट एंड साउंड शो की व्यवस्था करने, स्कूबा डाइविंग के लिए एक स्विमिंग पूल बनाने , डोबरा-चांठी में बोटिंग पॉइंट एवम पब्लिक ईको पार्क निर्माण , 500 स्थानीय लोगों को एक वर्ष के भीतर साहसिक खेलों का प्रशिक्षण , प्रताप नगर में लोक निर्माण विभाग के स्वामित्व में संग्रहालय का निर्माण तथा टिहरी लेक सिटी के नाम से विशालकाय ब्रांडिंग आदि की घोषणा की। 

इसके अलावा उन्होंने डीएम से कहा कि नई टिहरी शहर में जिन लोगों के पास अतिरिक्त भूमि है उसको बाजारी दर पर उनको दिया जा सकता है। कहा कि टिहरी के लोगों ने विस्थापन की पीड़ा झेली है। डोबरा चांठी पुल बनने के बाद प्रताप नगर की जनता को सहूलियत मिली है। सैकड़ों लोग पुल देखने आते हैं। कहा कि मसूरी तो सेचुरेशन पर आ गया है, धनोल्टी में भी जगह नहीं है। इसी परिकल्पना से हम टेहरी लेक के आसपास पर्यटन को बढ़ाना चाहते हैं ताकि बेरोज़गारों को यहीं रोजगार मिल सके। 

भागीरथी तट पर विश्वस्तरीय वैदिक विद्यालय स्थापित करने की है योजना

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा हिंदू संस्कृति का मूल है गंगा। हर हिंदू की इच्छा होती है कि वह गंगा जल का आचमन करे। कहा कि वेदों से हमारी संस्कृति बनी है, अगर भारत को समझना है तो बिना संस्कृत भाषा के भारत को नहीं समझा जा सकता। इसके लिए भागीरथी के तट पर हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा का एक वैदिक विद्यालय स्थापित करने की हमारी योजना है, जिसमें विश्वभर के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे।

टिहरी विधायक डॉ धन सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री समेत सभी आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि टिहरी को पर्यटन हब बनाने के लिए मुख्यमंत्री के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने साहसिक खेल अकादमी के नामकरण स्व0 दिनेश रावत के नाम पर करने के लिए सीएम को बधाई दी।

कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि टिहरी झील के आसपास पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। सरकार ने इस फेस्टिवल को विश्व स्तरीय बनाने का प्रयास किया इसके लिए मुख्यमंत्री जी बधाई के पात्र हैं। कहा कि चाहे योगा, राफ्टिंग, टूरिज़्म हो या धार्मिक पर्यटन सारी दुनिया के लोग यहां दौड़े चले आते हैं।

टिहरी लेक फेस्टीवल में पैरा ग्लाइडिंग, पैरा मोटर, पैरासेलिंग बोट, स्कूबा ड्राइविंग, हाट एयर बैलून, क्याकिंग, केनोइंग, हाईरोप कोर्स, रॉक क्लाइंबिंग, जुमारिंग रैपलिंग और ऑल टेरेन बाइक सहित कई साहसिक खेलों का भी आयोजन किया गया है।

इस अवसर पर कृषि मंत्री सुबोध यूनियाल, प्रभारी मंत्री डॉ धन सिंह रावत, राज्य मंत्री अब्बल सिंह बिष्ट, राज्य मंत्री रोशन लाल सेमवाल, अतर सिंह तोमर, संजय नेगी , प्रताप नगर विधायक विजय पंवार, टिहरी विधायक डॉ धन सिंह नेगी, विधायक घनसाली शक्ति लाल, विधायक देवप्रयाग विनोद कण्डारी,जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण, डीएम इवा आशीष श्रीवास्तव, भाजपा जिलाध्यक्ष विनोद रतूडी, डॉ प्रमोद उनियाल, परमवीर पंवार, गोविन्द रावत, विक्रम सिंह कठैत, खेम सिंह चौहान प्रमुख सुनीता देवी, बसुमती घनाता, शिवानी बिष्ट आदि मौजूद थे।


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Govind Pundir

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