कोरोना काल में अपने गांव घर लौटे प्रवासी युवकों पर पहली विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट का प्रेस क्लब में किया गया प्रेजेंटेशन

कोरोना काल में अपने गांव घर लौटे प्रवासी युवकों पर पहली विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट का प्रेस क्लब में किया गया प्रेजेंटेशन
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गढ़ निनाद समाचार* 11 फरवरी 2021।

नई टिहरी। कोरोना के चलते लॉक डाउन में अपने गांव घर लौटे प्रवासी युवकों पर पहली विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट का प्रेस क्लब में प्रेजेंटेशन किया गया। रिपोर्ट राज्य सरकार, पलायन आयोग तथा अन्य संस्थानों को प्रेषित की जाएगी।

आज बृहस्पतिवार को प्रेस क्लब में अध्ययन रिपोर्ट का संचालन करने वाले ग्रुप के सदस्य प्रोफ़ेसर सुनीता गोदियाल, महिपाल सिंह नेगी और अरण्य रंजन ने विस्तृत रिपोर्ट का प्रस्तुतीकरण करते हुए बताया कि बहुत ही महत्वपूर्ण आंकड़े सर्वे के जरिए प्राप्त किए गए हैं। 

कुल 208 प्रवासियों के मध्य ऑन लाइन किए गए इस अध्ययन में जो महत्वपूर्ण आंकड़े प्राप्त हुए हैं, वह इस प्रकार हैं….. 

    *68% प्रवासी युवकों ने राज्य बनने के बाद से पिछलेे 20 सालों में  पलायन किया। इनमें 50% लोगों के पास कोई प्रशिक्षण नहीं था और इनमें अधिकांश से इंटर बीए पास हैं। 19% युवक राज्य के भीतर जबकि 81% राज्य के बाहर से घर गांव को लौटे हैं।

     *26% अब किसी भी स्थिति में परिवार को साथ वापस नहीं ले जाना चाहते हैं। गांव लौटने पर 82% अपने माता पिता के साथ ही पैतृक घर में रह रहे हैं।  9% के पास पुश्तैनी घर भी नहीं रहा, उनके पुश्तैनी घर उजड़ चुके हैं।

     *सबसे महत्वपूर्ण आंकड़ा यह आया है कि 32% पुरानी जॉब वापस मिलने पर भी अब शहर नहीं जाना चाहते। 38% चाहते हैं कि चकबंदी हो जिससे वह नए सिरे से अपने खेतों को आबाद कर सकें।  

      *72% के पास रोजगार गारंटी के कार्ड नहीं हैं। पिछले एक-दो वर्षों में ही पलायन करने वालों के पास जॉब कार्ड हैं। लेकिन राशन कार्ड में 84% के नाम अभी दर्ज हैं।

        *52% अब भी किसी नौकरी की चाहत रखते हैं, जबकि 29% स्वरोजगार में हाथ आजमाना चाहते हैं। करीब 20% को इसमें आर्थिक मदद की दरकार है। घर लौट कर आए 84% युवक अभी एकदम खाली है, जबकि 16% ने कुछ न कुछ काम शुरू कर दिया है। ये युवक खेती पशुपालन फलोद्यान सब्जी उत्पादन और लघु उद्यम में हाथ आजमाना चाहते हैं। 

      * 74% लोग युवक ऐसे हैं जिन्होंने रोजी-रोटी के कारण पलायन किया। 64% लोग चाहते हैं कि रोजगार और प्रशिक्षण के लिए उन्हें सरकार या विशेषज्ञों से मार्गदर्शन मिले। 22% का कहना है कि सिर्फ खेती से पूरी रोज रोटी जुटाना संभव नहीं इसके साथ लघु उद्यम या अन्य वैकल्पिक साधन भी हों।

इस अध्ययन रिपोर्ट में करीब 80 प्रकार के आंकड़े सामने आए हैं।  अध्ययन कर्ताओं ने दावा किया है कि घर लौटकर आए  प्रवासियों पर यह देश का पहला अध्ययन हुआ है। 

सरकार से उन्होंने अपेक्षा की है कि और बड़े सैंपल का अध्ययन कराया जाए और फिर इन प्रवासियों के लिए ठोस योजना बनाई जाए।

       इस अध्ययन में डेटा कम्पाईल और विश्लेषण का काम रिसर्च स्कालर प्रमोद चौधरी ने किया है जो कि टिहरी जिले के भिलंगना विकास खंड के निवासी हैं।

इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता साहब सिंह सजवान और स्टेट प्रेस क्लब के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गोविन्द बिष्ट भी मौजूद थे।


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Govind Pundir

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