किशोर उपाध्याय ने हाइड्रो इंजीनीयरिंग कालेज की दुर्दशा पर जताई नाराज़गी

किशोर उपाध्याय ने हाइड्रो इंजीनीयरिंग कालेज की दुर्दशा पर जताई नाराज़गी
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टिहरी जिले के साथ सौतेला व्यवहार क्यों ?

देहरादून/नई टिहरी, 30 मई 2021। गढ़ निनाद समाचार
सूबे के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री तीर्थसिंह रावत से भागीरथी पुरम स्थित टिहरी हाइड्रो इंजीनीयरिंग कालेज की दुर्दशा पर नाराज़गी ज़ाहिर की है और कालेज की व्यवस्थाओं को सुधारने का अनुरोध किया है।
उपाध्याय ने श्री रावत से कहा है कि मेरे और मेरे साथियों के कठिन संघर्ष से इस कालेज की स्थापना हुई है।
जब इस कालेज की अवधारणा की गयी थी तो इसका स्वरूप IIT जैसा होना था और केन्द्र सरकार को इसे स्थापित करना था, लेकिन बाद में इसका स्वरूप बदल दिया गया और इसे राज्य के एक छोटे से कालेज के रूप में स्थापित किया गया, ऐसा क्यों किया गया? सरकार ही बता सकती है।
वैसे भी पूर्ववर्ती टिहरी राज्य के साथ सदैव हर क्षेत्र में सौतेला व्यवहार किया जाता है।

मुख्यमंत्री जी आप वहाँ ( नई टिहरी) जा रहे हैं, आपक़ा स्वागत है। मुझे विश्वास है आप इस इंजीनियरिंग कालेज की दशा-दिशा सुधारने हेतु वहीं पर निर्णय लेंगे-किशोर


रानी चौरी में बने बनाये और स्थापित औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय को अन्यत्र ले ज़ाया गया, स्वीकृत NCC अकेडमी, जिसका शिलान्यास हो गया था, उसे भी टिहरी से हटाया गया।तत्कालीन यशस्वी मुख्यमंत्री स्व. नारायणदत्त तिवारी जी ने 2006 में कोटी कालोनी में मेडिकल कालेज अस्पताल की घोषणा की थी, उसका क्या हुआ? कुछ पता नहीं है और UPA की चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गाँधी ने 16 फ़रवरी, 2012 को टिहरी में केन्द्र सरकार द्वारा विश्व स्तरीय मेडिकल कालेज अस्पताल स्थापित करने की घोषणा की थी, हम नालायक उसे भी स्थापित नहीं करवा पाये।
अगर ये दोनों संस्थान स्थापित हो गये होते तो पहाड़ी क्षेत्र के हज़ारों लोगों को इलाज मिलता और जाने बचतीं।
इस कोरोना के महा संकट के काल खण्ड में लोगों की जाने न जातीं।
आप इस कालेज में स्थापित किये गये, कोविड केयर सेंटर का अवलोकन करने जा रहे हैं, इसलिये उपरोक्त बातें कही हैं।
इस कालेज ने कई प्रतिभायें देश को दी हैं।अपना कोदा-झँगोरा खाके हमारे बेटे-बेटियों का भविष्य संवरा है।
राज्य बनने के बाद यह पहला बड़ा संस्थान टिहरी में स्थापित हुआ है, जो सरकार की उपेक्षा का दंश झेल रहा है, न पूर्ण कालिक स्टाफ़ है, न वर्षों से निदेशक है, न स्थायी पढ़ाने वाले हैं।राज्य के बच्चों के भविष्य के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है?
यहाँ के बच्चे अपना कोदा-झँगोरा खाकर डॉक्टर-इंजीनीयर बन सकें, लड़-भिड़ कर कुछ संस्थान यहाँ लाया था, लगता है, संघर्ष निष्फल सा हो रहा है। आप वहाँ जा रहे हैं, आपक़ा स्वागत है। मुझे विश्वास है आप इस इंजीनियरिंग कालेज की दशा-दिशा सुधारने हेतु वहीं पर निर्णय लेंगे। स्थायी निदेशक, स्थायी टीचिंग स्टाफ़ और स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति के आदेश देंगे।
आप यदि समय देंगे तो स्थानीय प्रबुद्धजनों का एक शिष्ट मण्डल आपसे भेंट कर अपनी बात भी रखलेगा।


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Govind Pundir

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