योग विधा के आदि गुरु शिव- जगत सागर बिष्ट

योग विधा के आदि गुरु शिव- जगत सागर बिष्ट
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नई टिहरी। आधुनिक समय की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानव शरीर से कम व दिमाग से अधिक काम ले रहा है। मानव का खानपान पहले जैसा न रह कर आधुनिक संस्कृति वेस्टन होने के फलस्वरूप प्रकृति से दूर हो गया है। मानव आज के दौर में धन के दम पर संसाधनों व साधनों पर आधारित हो गया है। जिस कारण मानव शरीर आज के समय बीमारियों का घर बन कर रह गया है। मानसिक तौर पर आज हर मानव बीमार है। जिस कारण समाज में अराजकता का माहौल बना है। इन समस्याओं के समाधान के लिए शिव भगवान ने पृथ्वी पर मानव जाति को योग साधना विद्या का वरदान भारत की भूमि से दिया है। जिसका लाभ आज दुनिया के मानव लेने का प्रयास कर रहे है ।

जिसके प्रमाण भी मिलने लगे हैं। जो मानव योगाभ्यास नियमित करता है वह विभिन्न रोगों से दूर रहता है और जो रोग ग्रस्त मानव योग आयुर्वेद प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करता है वह रोग मुक्त हो जाता है। भारत आजादी से पहले मुगलों व अंग्रेजों के दशकों के राज काज में भारतीय संस्कृति को जड़ से उखाड़ने के लिए आक्रांताओं ने आतंक के दम पर कही भारत पर हमला कर मार काट के बाद अनेकों सांस्कृतिक व धार्मिक व आयुर्वेद पुस्तकों संग्रहालयों पुराणों को नष्ट कर अपने अपने कलचर को भारत में थोपा गये मुगलों ने तो हिन्दुओं को मुसलमान बनाने के लिए समाज में अनेक अत्याचार तक किये आठ सौ सालों से दूर भारत का समाज अपनी सांस्कृतिक विरासतों को भूलता चला गया। आज के दौर में मानव को अपने स्वास्थ व शरीर को निरोगी रखने के लिए हमारे समाज को विदेशी कलचर से वापस भारत की संस्कृति व ऋषि परम्परा व उनकी दिनचर्या पर वापस लौटने की जरूरत है। जिसमें आधुनिक सरकारों को योग आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा पर अधिक कार्य करने की जरुरत है। योग का प्राचीन महत्व

मानव शरीर को स्वस्थ व ताकतवर बनाने के लिए योग परम्परा अत्यंत प्राचीन है और इसकी उत्पति हजारों वर्ष पहले हुई थी ऐसा माना जाता है कि जब से सभ्यता शुरु हुई है तभी से योग किया जाता रहा है अर्थात प्राचीनतम धर्मो या आस्थाओं के जन्म लेने से काफी समय पहले योग का जन्म हो चुका था। योग विधा में शिव को आदि योगी व आदि गुरु माना जाता रहा है। भगवान शिव के बाद वैदिक ऋषि मुनियों ने योग को अपने जीवन में उतार कर पूरे विश्व को इसके चमत्कारी गुणों का संचार किया इसके बाद कृष्ण महावीर बुद्ध जैसे अनेक संतो ने योग का अपने अपने तरीके से इस परम्परा का विस्तार किया। 

इसके पच्चात संत पतांजलि ने इसे सुव्यवस्थित रुप दे कर देश व विदेशों में योग का प्रचार किया, आगे चल कर सिद्ध पंथ शौवपंत, नाथपंत, वैष्णव और शाक्त पंथियों ने अपने अपने तरीके से विस्तार दिया। आधुनिक समय में चार दशकों से बाबा राम देव योग को मेडिकल परिक्षण के आधार पर आयुर्वेद में आचार्य बाल कृष्ण ने ऐलोपैथिक को जमकर टक्कर देने में सफल हो रहे है। इन दोनों संतो ने सात सौ बिमारीयों को जड़ से समाप्त करने का दावा किया है, जबकि ऐलोपैथिक में इन बिमारीयों को दवाईयों से कुछ समय के लिए दबाने का दावा किया जाता है। जबकि बाबा राम देव का दावा है कि आयुर्वेद व योग के अभ्यास करने से विभिन रोगों का जड़ से उपचार किया जा सकता है और मानव रोग मुक्त हो जाता है । ऐतिहासिक साक्ष्य योग से सम्बंधित सबसे प्राचीन वमहत्वपूर्ण साक्ष्य सिन्धु घाटी सभ्यता से प्राप्त वस्तुएँ है। जिनकी शारीरिक मुद्राएँ और आसन उस काल में योग के अस्तित्व के प्रत्यक्ष प्रमाण है। योग के इतिहास पर यदि दृष्टिपात करें तो इसके प्रारम्भ या अंत का कोई प्रमाण नहीं मिलता है। लेकिन योग का वर्णन सर्वप्रथम वेदों व पुराणों में मिलता है और सबसे प्राचीन साहित्य माने जाते है। योग की शुरुआत भारत में मानी जाती रही है । आधुनिक भारत के कई राज्यों में गुरुकुलम सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में योगाभ्यास व पढ़ाया जाने लगा है। जिसमें पहला राज्य उत्तराखण्ड है। जहां एक शहर जिसे ऋषिकेश कहा जाता है उसका एक नाम योग नगरी भी कहा जाता है। प्राचीन काल से योग का बड़ा महत्व रहा है । गीता में तो श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुऐ योग को मानव जाति के लिए कल्याणकारी बताया है। आधुनिक भारत में स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो के धर्म संसद में अपने ऐतिहासिक भाषण में योग का उलेख कर सारे विश्व को परिचित कराया महर्षि महेश योगी परम हांस योगानन्द रमण जैसे महर्षियों ने पक्षीमी देश को प्रभावित किया और धीरे धीरे योग एक धर्म निरपेक्ष प्राक्रिया आछाति धार्मिक सिद्धान्त के रूप में दुनिया भर में दुनिया भर स्वीकार किये जाने लगा। योग के निरंतर अभ्यास करने से मानव के अंदर बिमारीयों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाता और मानव शरीर स्वस्थ रहता है । इस सत्य को जान कर विश्व ने योग को स्वीकार किया है। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर मोदी ने 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा जिसे 193 देशों में से 175 देशों ने मानव कल्याण के लिए प्रस्ताव स्वीकार कर दिया। आज भारत विश्व में योग गुरु की भूमिका अदा कर रहा है। योग से विभिन्न रोगों से मुक्ति मानव अगर निरंतर योग अभ्यास करता है तो कैंसर, मधुमेह, बीपी, हृदय रोग थायराइड अर्थराइटिस चर्म रोग पाइल्स हर्निया किडनी का खराब होना, लीवर का खराब होना, महिलाओं के विभिन्न रोगों व मानसिक बीमारियों से भी मानव शरीर की रक्षा करता है । 

-फोटो कैप्शन योगाभ्यास करती अनुष्का


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Govind Pundir

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