विदेशों में भी पूजे जाते हैं भगवान श्रीराम — नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज

विदेशों में भी पूजे जाते हैं भगवान श्रीराम — नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज
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रायवाला हरिद्वार। हनुमान चौक प्रतीतनगर रायवाला में आयोजित श्री राम लीला में आज बालिग सुग्रीव लीला का मंचन बडे़ ही हर्षोल्लास से किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज, पूर्व राज्यमंत्री एवं भाजपा नेता भगतराम कोठारी, कांग्रेस के वरिष्ठ एवं युवा नेता जयेन्द्र रमोला, जिला पंचायत सदस्य श्यामपुर संजीव चौहान उपस्थित रहे। रामलीला समिति के सदस्यों ने आए हुए सभी अतिथियों का रामनाम का पटका ओढ़ाकर सम्मान किया।

मंच पर उपस्थित अतिथियों के साथ दर्शकों को संबोधित करते हुए नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक एवं उपस्थित जनसमूह

इस अवसर पर दर्शकों को संबोधित करते हुए स्वामी रसिक महाराज ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सदियों से भारतीय जन-मानस के मन-मंदिर में विराजमान हैं। क्या पढ़े-लिखे और क्या निरक्षर, सब के मन में श्रीराम आराध्य हैं। श्रीराम को घर-घर और जन-जन तक पहुंचाने में रामलीलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है। 

महाराज ने कहा कि शारदीय नवरात्र के आरंभ होने के साथ ही देश के अनेक स्थानों और खासकर उत्तर भारत में रामलीलाओं का आयोजन सदियों से हो रहा है। इसमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की लीलाओं को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग श्रद्धा-सम्मान के साथ एकत्रित होते हैं। रामलीला केवल भारतवर्ष में ही नहीं विदेशों में भी होती है। नेपाल, मॉरीशस, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिजी, गुयाना में भी रामलीलाएं बड़े पैमाने पर होती हैं। नेपाल में जनकपुर की रामलीला देखने के लिए अनेक देशों से लोग आते हैं।

यही नहीं मुस्लिम देश इंडोनेशिया और मलेशिया में होने वाली रामलीलाओं में सभी पात्र मुसलमान ही होते हैं। वे लोग वहां की स्थानीय रामायण के अनुसार रामलीला करते हैं। इंडोनेशिया में आज से करीब 80 वर्ष पहले पाकू आलम नामक एक व्यक्ति ने रामलीला की शुरुआत कराई थी। उन्होंने ही सभी पात्रों को प्रशिक्षित किया और मंचन भी कराया। वह परंपरा आज भी चल रही है। 

पूर्व राज्यमंत्री भगतराम कोठारी ने कहा कि जब भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ तो कुल गुरु वशिष्ठ जी ने कहा कि भरत मुनि के नाट्यशास्त्र के समान श्रीराम की लीलाओं के मंचन और दर्शन से समाज में आशावादिता जगेगी और बुराई का अंत होगा। इस प्रकार रामलीला प्रारंभ हुई।

कांग्रेस नेता जयेन्द्र रमोला ने कहा कि जैसे-जैसे रामलीलाओं की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे दर्शक भी बढ़ रहे हैं। सदियों से लोग रामलीला देखते आ रहे हैं। कथा-वस्तु भी वही है। 

जिला पंचायत सदस्य संजीव चौहान ने कहा कि श्रीराम का चरित्र आदर्श और सत्य पर आधारित है। धर्म कहता है कि सत्य कभी तिरोहित नहीं होता, कभी परिवर्तित नहीं होता और न ही उसमें किसी प्रकार की कमी होती है। इन गुणों के कारण श्रीराम के चरित्र में बार-बार नवीनता का दर्शन होता है। यही नवीनता श्रद्धालुओं को बार-बार रामलीला देखने को विवश करती है। रामलीला का स्वरूप जहां विशुद्ध है, वहां दर्शकों की संख्या कम नहीं होती है।


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Govind Pundir

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