चुनाव के कारण आम आदमी की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित रही—-लोकेंद्र जोशी, राज्य आंदोलनकारी

चुनाव के कारण आम आदमी की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित रही—-लोकेंद्र जोशी, राज्य आंदोलनकारी
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घनसाली। पिछले दो तीन महीनों के अधिक समय से जनता बहुत परेशान है। चुनाव के नाम पर जहां तक जानकारियां हैं विभागों में कोई कार्य नहीं हुए हैं खास कर तहसीलों और जिला मुख्यालयों में होने वाले कार्य बहुत प्रभावित हुए और अभी  भी जनता के कार्य 10 मार्च से और आगे कब तक प्रभावित रहेंगे यह कहना निश्चित नहीं है। प्रशासन की अपनी भी समस्याएं है, पुरानो की सेवानिवृत्ति और नयों की भर्ती न होने से अधिकांश विभागों में अनुभवी कर्मचारियों का भारी टोटा है । जिससे प्रशासन को जूझना पड़ रहा है। 

 जब देखो तब चुनाव की फ़ाइल पलटते हुए कर्मचारी गण देखे गए। सबका उद्देश्य लोकप्रिय सरकार चुनी जानी को लेकर रहा। अभी भी ऐसा लग रहा है जो सरकार चल रही है वह बेकार है। उसके लिए अब जनता का कोई मायाने नहीं रह गए! कोई भी रोज मर्रा के कार्य नहीं हुए।  जन्म- मृत्यु से संबंधित कार्य और उनसे जुड़े हुए बैंकों का लेनदेन  ,शादी विवाह का पंजीकरण, रजिस्ट्री आदि  विकास के कार्य, और विभागों से भुगतान न  होना,आदर्श आचार संहिता के नाम पर  प्रभावित हुए, कानून का भय भी लोगों का सताता रहा । चुनाव में किसी तरह की गड़बड़ी और कानून व्यवस्था प्रभावित न हो लोगों को शांति भंग के मुकदमों मुचलकों से पाबंद किए गए हैं जिससे खास कर पर्वतीय क्षेत्रों के निर्दोष  लोग अभी भी  सहमे हुए हैं। 

सरकारी दफ्तरों में,लोगों के आवश्यक  कार्य न होने से सरकार के द्वारा ही सरकार को लाखों रुपए का चूना लगा! और भारी राजस्व की हानि भी हुई। बेचारे देश प्रदेश में रहने वाले काश्तकारों को उल्टा मायूस हो कर खाली हाथों  अपने अपने कार्य क्षेत्रों में लौटना पड़ा। 

अब जहाँ पूरे प्रदेश में एक ही तिथि  14 फरवरी को चुनाव संपन्न हो गए हैं,और 10 मार्च को चुनाव परिणाम आने हैं। फिर से जनता को बेवजह एक महीने का और अतिरिक्त लम्बा इंतजार करना पड़ेगा और जनता को ही परेशानी उठानी पड़ेगी। चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई आदर्श आचार संहिता का अनुपालन करते हुए लोग काफी मायूस हैं। 

कुछ का मानना था कि उत्तराखंड में चुनाव यूपी के अंतिम मतदान दिवस के साथ कराये जाने चाहिए थे। तब पहाड़ी क्षेत्रों में ठण्ड भी कम  होती और अन्य कठिनाइयों के साथ,मतदाताओं की हिस्सेदारी बढ़ती। आचार संहिता कुछ दिन बाद लगती, आम जनता के कुछ काम-काज नहीं रोके जाते। ऐसे सुझाव भी निर्वाचन आयोग को दिए गए। 14 फरवरी से दस मार्च तक उंगलियों पर मतगणना में फालतू की सिर खफाई करने की बजाए लोग अपने काम करते। लोगों का भला होता और राज्य का भी।

बहरहाल चुनाव शांतिपूर्ण निपट गए। इसके लिए जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन समेत सभी कर्मियों को बहुत बहुत बधाई।


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Garhninad Desk

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