लैंगिक आधारित नियोजन एवं बजट आवंटन हेतु प्रदेश स्तरीय कार्यशाला संपन्न

लैंगिक आधारित नियोजन एवं बजट आवंटन हेतु प्रदेश स्तरीय कार्यशाला संपन्न
Please click to share News

देहरादून 21 अक्टूबर। लैंगिक आधारित नियोजन एवं बजट आवंटन हेतु प्रदेश स्तरीय दो दिवसीय कार्यशाला का आज समापन हो गया। नियोजन एवं वित्त विभाग उत्तराखंड सरकार द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय प्रदेश स्तरीय कार्यशाला का पहले दिन शुभारंभ करते हुए वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि केंद्र एवं प्रदेश की सरकार महिलाओं को समानता का दर्जा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है ,इस संदर्भ में राज्य के उच्च स्तर के अधिकारियों की यह कार्यशाला विभिन्न विभागों में लिंग आधारित बजट आवंटन में दूरगामी परिणाम देगी।

नियोजन एवं वित्त सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने राज्य स्तरीय कार्यशाला में उपस्थित प्रत्येक विभाग के शासन स्तर पर अपर सचिव ,जॉइंट सेक्रेटरी एवं डिप्टी सेक्रेटरी तथा निदेशालय स्तर पर निर्देशक एवं उपनिदेशक स्तर के अधिकारियों का आवाहन किया कि अब समय आ गया है, कि वर्ष 2005 से राज्य में चल रहे जेंडर आधारित बजट आवंटन को गति प्रदान की जाए और इसके लिए यह कार्यशाला कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्ष पर पहुंचेगी।

कार्यशाला के दोनों दिन विभिन्न विभागों के निदेशक स्तर के अधिकारियों ने बजट आवंटन पर अपने विचार रखे। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य से जुड़े अधिकारियों के प्रश्नों कि आंकड़ों से पता चलता है ,कि जब से शिक्षा विभाग में फोलिक एसिड की गोलियां छात्र-छात्राओं को समान रूप से निशुल्क दी जाती हैं ,तब से विद्यालयों में बालिकाओं में तो एनीमिया रोग लगभग समाप्ति की तरफ है, जबकि समान उम्र सीमा के बालकों में अभी भी उसका खतरा बना हुआ है?

जवाब देते हुए शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा निदेशालय का प्रतिनिधित्व करते हुए डॉ चंडी प्रसाद घिल्डयाल ने कहा कि यह बात सही है ,कि विद्यालयों में फोलिक एसिड की गोली छात्रों एवं छात्राओं को समान रूप से वितरित की जाती है, परंतु 15 से 17 वर्ष की आयु वर्ग के बालक गंभीरता पूर्व इसका सेवन नहीं करते हैं। उमर का तकाजा है कि लडके इस मामले में टीचरों के आदेश को भी गंभीरता से नहीं लेते हैं, स्वभाव के अनुरूप बालिकाएं गंभीरता पूर्वक पालन करती हैं, इसलिए स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बता रहे हैं ,कि उत्तराखंड में बालिकाओं में एनीमिया रोग लगभग समाप्ति की तरफ है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विभाग में लिंग को आधार मानकर बजट का आवंटन होना ही चाहिए क्योंकि उससे बालिकाओं की शिक्षा पर भी सकारात्मक फर्क पड़ेगा। उन्होंने इस प्रकार के बजट को शीघ्र निदेशालय स्तर पर संस्कृत शिक्षा में भी व्यवहार में लाने की बात कही जिसका सभी अधिकारियों ने मेजे थपथपाकर स्वागत किया।

राज्य स्तरीय कार्यशाला में संयुक्त राष्ट्र संघ महिला सशक्तिकरण एवं लिंग आधारित राष्ट्रीय कार्यक्रम की समन्वयक डॉक्टर संघमित्रा, उत्तराखंड के बजट अधिकारी मनमोहन मैनदोली, शिक्षा विभाग के वित्त नियंत्रण गुलफाम अहमद, राष्ट्रीय कार्यक्रम विश्लेषक अभिलाष सूद , यूएनडीपी के उत्तराखंड प्रमुख प्रदीप मेहता , उत्तराखंड राज्य समन्वयक आतिफ जैन, महिला सशक्तिकरण विभाग के सचिव हरिश्चंद्र , संस्कृत शिक्षा के डिप्टी सेक्रेटरी एस एम नौटियाल प्रोग्रामर मनोज पंत, मुख्यमंत्री पोर्टल एवं महिला सशक्तिकरण से आरती बलोदी सहित सांख्यिकी, पुलिस, ट्रेजरी, उच्च शिक्षा, आबकारी, स्वास्थ्य ,मत्स्य पालन, कृषि सहित लगभग सभी विभागों के शासन एवं निदेशालय स्तर के उच्च अधिकारी उपस्थित रहे।


Please click to share News

Garhninad Desk

Related News Stories