बुधू- ‘संजीवनी बूटी की पिटारी कहां है’

बुधू-  ‘संजीवनी बूटी की पिटारी कहां है’
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गढ़ निनाद न्यूज़ * 20 मई 2020

नई टिहरी। कोरोना बेकसूर को मारे जा रहा है। खुशनसीब हैं वे डॉक्टर नर्सें जिनको बचा पा रहे हैं। सरकारें इस अपरिचित शत्रु के सामने कुल मिलाकर रक्षात्मक लड़ाई में लस्त-पस्त हैं। वैज्ञानिक दुनिया को बचाने के लिए अपनी सारी ज्ञान पूंजी के साथ रात दिन जुटे हुए हैं। मानवता के प्राण जाने के लिए चाहे जिस कोने में मिले संजीवनी मिल जाए, यह अथक कोशिशें जारी हैं।

जिनके पास संजीवनी बूटी है, वह न जाने कब के लिए किस तहखाने, लॉकर में इसको छिपाए बैठे हैं। वे जो कलयुग के महान खोजी संत की घोषणा पर गर्वोन्मत हुंकार भर रहे थे, संजीवनी से रोगमुक्त मिशन-2022। आज इतने बड़े हो गए हैं कि प्रोटोकॉल के समक्ष संकट छोटा लगता है! नहीं तो कहते क्यों नहीं? बाबा! चमत्कारी संदूकची खोलकर संजीवनी बूटी निकालो, पूरी दुनिया को बांटो। यह प्रकृति का महान उपहार है। पूरी दुनिया के लिए भाषा, भूगोल, धर्म, मजहब, राजनीति की संकीर्ण सीमाओं से मुक्त मानव कल्याण की निधि। हमारे तपस्वी पूर्वजों की महान खोज। वे तपस्वी जो धर्म-आस्था का व्यापार नहीं करते थे।

बताइए बाबा जी, बोलिए मंत्री जी! और आप सब लोग जो जब-तब ऐसी घोषणाओं पर जयकारे लगाकर, तालियां बजा-बजा कर मायावी लोक रचते हैं। इन महान लोगों से पूछते क्यों नहीं, कि आखिर वह संजीवनी बूटी कहां रखी है?  किस मर्ज की दवा है? कब के लिए रखी है? त्रिकालदर्शी हैं और जानते हैं कि कोरोना से बच गयी दुनिया पर भविष्य में इससे भी भयानक महामारी टूटने-पड़ने वाली है, उस दिन के लिए बचा रखी है क्या? बता दीजिए, यह सही समय है। 

सही समय तो हम आम आदम जात को समझने के लिए भी है कि अपनी बुद्धि पर अंध आस्थाओं, विश्वासों का मकड़जाल न बनने दें। बुधू को पता है कि वह संजीवनी बूटी सिर्फ निष्काम कर्मयोगी संत के पास ही हो सकती है। महर्षि दधीचि ने तो लोक कल्याण के लिए

अपनी हड्डी तक दान दे दी थी। आज धर्म, मजहब, पंथ के नाम पर अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त भव्य अट्टालिकाएं परिश्रमी सीमित साधनों वाले समाजों का मजाक उड़ा रही हैं। इनसे चमत्कारी पुरुष निकलते हैं, आपका उद्धार करने के लिए।

लेकिन जब संकट हमारे द्वार पर हो तो ले- देकर हमको सरकार, डॉक्टर, पुलिस, सेना की याद आती है। और ये हैं, जैसे भी है संकट में हमारे साथ हैं। हम इनके कहा का पालन करें। बुद्धू अपनी झोपड़ी में सुखद कल के विश्वास के साथ चैन से है, चूंकि जानता है कि चमत्कार और चमत्कारियों का मायाजाल मिथ्या है।

नियम संयम हमारी सबसे सुरक्षित नीति है, इनकी सुरक्षा हमारा कर्तव्य। सुरक्षित रहें- सुखी रहें। 

आपका बुधू।


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Govind Pundir

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