हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आधुनिक हिंदी मिडिया विषय पर ऑनलाइन व्याख्यानमाला

हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आधुनिक हिंदी मिडिया विषय पर ऑनलाइन व्याख्यानमाला
Please click to share News

समसामयिक सदर्भ में आधुनिक हिंदी मिडिया (प्रिंट मिडिया, इलेक्ट्रॉनिक मिडिया) विषय पर महाविद्यालय थत्यूड, टिहरी गढ़वाल ऑनलाइन व्याख्यानमाला

गढ़ निनाद समाचार 
थत्यूड (टिहरी गढ़वाल): दिनांक 14 सितंबर 2020 को राजकीय महाविद्यालय थत्यूड, टिहरी गढ़वाल में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में समसामयिक सदर्भ में आधुनिक हिंदी मिडिया (प्रिंट मिडिया, इलेक्ट्रॉनिक मिडिया) विषय पर ऑनलाइन व्याख्यानमाला का आयोजन गणित विभाग एवं हिन्दी विभाग द्वारा किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत ऑनलाइन व्याख्यानमाला की आयोजक गणित विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनीता तोमर ने की। प्रोफेसर अनीता तोमर ने प्रतिभगियों का स्वागत करते हुए बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण बदली परिस्थितियों के बावजूद हिंदी दिवस के आयोजन को लेकर उत्साह और उमंग में कोई कमी नहीं है। इसका पता इस बात से चलता है कि आज की ऑनलाइन व्याख्यानमाला लगभग 200 प्रतिभगियों ने पंजीकरण करवाया है। कहा जाता है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। कोविड-19 महामारी के दौरान शिक्षा में व्यापक सुधार देखने को मिले हैं। कोविड-19 महामारी ने ऑनलाइन काम करना सिखाया और कि ऑनलाइन प्लेटफार्म विचारो को साँझा करने का एक बहुत ही प्रभावशाली , सरल व् सस्ता माध्यम है ।

इस तरह की कांफ्रेंस – ऑनलाइन व्याख्यानमाला, राजकीय महाविद्यालय थत्यूड़ टिहरी गढ़वाल में पहली बार आयोजित की जा रही है। कि निश्चित ही इसके परिणाम दूरगामी होंगे। प्रोफेसर अनीता ने सबको हिंदी दिवस की शुभकमाये देते हुए । हिंदी हमारी मात्रभाषा ही नहीं हमारी पहचान भी है। भले ही आज हर तरफ अंग्रेजी भाषा का बोलबाला है, लेकिन हिंदी भाषा का अपना एक अलग ही महत्व है, क्योंकि अपनी भावनाए अगर किसी भाषा में सहजता से व्यक्त की जा सकती है वो हिंदी है। प्रो0 तोमर ने हिन्दी के संदर्भ में विभिन्न सॉफ्टवेयर पर विस्तृत प्रकाश डाला हिन्दी के विकास पर मीडिया की क्या भूमिका है इस पर उन्होने बड़ा ही सारगर्भित वक्तव्य प्रस्तुत किया। आमंत्रित वक्ताओं का परिचय प्रस्तुत किया।

इस व्याख्यानमाला के मुख्य अतिथि प्रोफेसर एन पी माहेश्वरी पूर्व निदेशक उच्च शिक्षा के द्वारा कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया व तकनीकी सत्र अध्यक्षता करते हुए मुख्य अतिथि प्रोफेसर माहेश्वरी ने हिन्दी की उत्तरोत्तर प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होने हिन्दी के विकास में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रेखांकित की और सिनेमा में हिंदी के विकास में विश्लेषण करते हुए उन्होने हिन्दी भाषा में निरन्तर हो रहे लाक्षणिक प्रयोगों के उदाहरण भी प्रस्तुत किये।

श्री राजेश जोशी जी ने हिंदी पत्रकारिता तथा राष्ट्रवाद शीर्षक पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होने पत्रकारिता के प्रादुर्भाव पर प्रकाश डालते हुए समाचार पत्रों के विकास के विषय में जानकारी दी। पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य प्रतिष्ठान विरोधी है। किंतु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पत्रकारिता स्वतंत्र विचारधारा को शोषित न करते हुए एक प्रकार से अघोरपंथ है। राष्ट्रवाद के विषय में श्री जोशी जी ने कहा कि अंग्रेजों के शासनकाल वाला राष्ट्रवाद अब भू-राजनीतिक राष्ट्रवाद बन गया है। उन्होने इस तथ्य पर भी ध्यान आकर्षित किया कि हिंदी पत्रकारिता के समक्ष अब अनेकों चुनौतिया हैं तथा सत्य व तथ्यों को परोसा जाना ही पत्रकारिता का उदेश्य होना चाहिए।

प्रो० गोपाल प्रधान ने अपने व्याख्यान के प्रारम्भ में कहा कि हिंदी दिवस तिथि पाखंड की तिथि है क्योंकि हिंदी, हिंदी भाषी प्रदेशों में ही बहिष्कृत है। उन्होने नई शिक्षा नीति में संस्कृत की अनिवार्यता के संबंध में कहा कि संस्कृत से हिंदी का प्रादुर्भाव नहीं हुआ है। क्योंकि हिंदी के अनेकों शब्दों की व्युत्पत्ति संस्कृत से संभव नहीं है। प्रो0 प्रधान ने कहा कि हिंदी का संबंध लौकिक संस्कृत से न होकर छान्दस्य संस्कृत से तथा लोकभाषाओं से पोषित होने पर ही हिंदी की गरिमा रह सकती है। उन्होने हिंदी तथा उर्दू भाषा को संबंध पर भी प्रकाश डाला और कहा कि लोक भाषाओं में हिंदी का समावेश नितांत आवश्यक है। भाषा का जीवन तभी है जब वह ज्ञान की भाषा हो। गांधी जी के कथन पर प्रकाश डालते हुए उन्होने कहा कि पूंजी मीडिया को परतंत्र बनाती है। सरकार की हिंदी के प्रति जो अनदेखी है उस पर भी उन्होने प्रकाश डाला।प्रतिरोध की कविता को उन्होने हिंदी के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू बताया।

प्रो0 रवीन्द्र कुमार ने बताया कि प्रबुद्व मीडिया ही प्रबुद्व जनमत तैयार करता है तथा इसकी अनुपस्थिति में जनतंत्र की कल्पना नितांत अकल्पनीय है। संविधान के अनुच्देद 19 ए का हवाला देते हुए उन्होने कहा की मीडिया का दायित्व तथ्य तथा सत्य को जनता तक पहुंचाना है।परंतु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मीडिया अपने उद्देश्य से थोड़ी अलग-थलग होकर समकालीन मुद्दों पर इंगित नही करता, हालांकि कोरोना काल में मीडिया ने अपना जन जागृति का दायित्व निभाया है। किंतु फिर भी मीडिया की जिम्मेदारी तुष्टिकरण न होकर संतुलित होनी चाहिए तथा
हिन्दू-मुस्लिम से आगे बढ़कर एक वैज्ञानिक दृष्टिकोंण आवश्यक है।

प्रो0 आंनद प्रधान जी ने कहा कि मीडिया पर बात करना आवश्यक है क्योंकि हम एक मीडिया सोसाइटी में रहते है, और मीडिया ही डेमोक्रेसी का जनमत बनाती है। किंतु वर्तमान में मीडिया आम चर्चा के विषयों पर विमर्श न करने के कारण अपने उद्देश्यों का पूर्ण निर्वहन नहीं कर रही। उन्होने कहा कि मीडिया को उपेक्षित मुद्दों को प्रकाश में लाना चाहिए तथा मीडिया साक्षरता व आलोचनात्मक सत्य को उन्होने अति आवश्यक बताया।

श्री अनिल कार्की जी ने ग्रामीण परिवेश में मीडिया के महत्व पर बात की तथा सोशल मीडिया समूहों द्वारा लोगो में समाचारों को मूल्यांकित करने की समझ पर भी बात की।

इन सभी वक्ताओं के उपरान्त डॉ0 तनु आर बाली असिंस्टेंट प्रो0 अंग्रेजी ने सभी वक्ताओं के अभिभाषणों का बेहतरीन सार प्रस्तुत किया। उन्होने प्रत्येक वक्ता की महत्वपूर्ण बातों को बड़ी ही खूबसरती से रेखांकित करते हुए समस्त कार्यक्रम की विहगम रूपरेखा प्रस्तुत की।

कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय की प्राचार्य ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।


Please click to share News

admin

Related News Stories